बिजली कैसे बनती है ? लाइट कैसे बनती है ? bijali kaise banti hai dikhaiye

Bijli kaise banti hai ?  bijali kaise banti hai dikhaiye? बिजली कैसे बनती है ? बिजली का निर्माण कैसे होता है ? आज के इस युग में हमें बिजली की बहुत ही आवश्यकता पड़ती है वह चाहे गांव हो या फिर शहर प्रत्येक जगह पर बिजली की जरूरत होती है सभी के घरों में आज के समय पर टीवी पंखा जैसे मशीनें आम तौर पर जरूर होती हैं या पाई जाती है |

जिनको चलाने के लिए हमें बिजली की आवश्यकता होती है और इसके साथ-साथ कुछ घरों में फ्रिज कूलर वाशिंग मशीन जैसे और भी इक्विपमेंट जोकि बिजली से ही चलते हैं इनको चलाने के लिए हमें बिजली की जरूरत होती है | पर बात यह भी आती है |

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कि कुछ इक्विपमेंट जो बिजली से ही नहीं बल्कि हमारे प्राकृतिक ऊर्जा सौर ऊर्जा के द्वारा भी चलाई जाती है परंतु हमारे जो बड़े इक्विपमेंट होते हैं जैसे- फ्रिज कूलर वाशिंग मशीन आदि जैसे इक्विपमेंट को चलाने के लिए हमें कई सौर ऊर्जा जिन्हें हम सोलर पैनल भी कहते हैं |

इनकी जरूरत होगी लेकिन हमारे सारे इक्विपमेंट इस प्राकृतिक ऊर्जा सौर ऊर्जा द्वारा नहीं चलाया जा सकता है जिसके लिए हमें बिजली की जरूरत जरूर पड़ती है आज हम आपको इस पोस्ट के जरिए यह बताएंगे कि बिजली कैसे बनाई जाती है |

बिजली कैसे बनाई जाती है ? How is electricity made ?

बिजली बनाने के लिए हमें कोयले की जरूरत होती है अभी आप लोगों के मन में यह सवाल उत्पन्न हो रहा होगा कि हमें बिजली चाहिए ना कि कोयला यह कोयला शब्द बीच में कैसे आ गया|

तो आइए हम जाने बिजली घर जहां पर बिजली बनाई जाती है वह जगह लगभग 3 किलोमीटर से 4 किलोमीटर की होती है इतने बड़े में पावर प्लांट फैला होता है इतना बड़ा पूरा का पूरा बिजली घर बना होता है |

जिसमें कई खंड होते हैं आइए एक-एक को विस्तार से बताते |

भारत में बिजली कैसे बनती है ? How is electricity made?

जी हां बिजली हमारी टरबाइन के घूमने से उत्पन्न होती है जिस को घुमाने के लिए हमें भाप की जरूरत होती है और वह भाप कोयले से एवं पानी से बनाई जाती है जिसमें जी हां कोयले के द्वारा ही बिजली उत्पन्न की जाती है बनाई जाती है कोयला का प्रयोग किया जाता है |

बिजली घर जहां पर बिजली बनाई जाती है वहां पर उसका एकखंड होता है जो बिजली घर के पूरी जमीन पूरी जगह जो होती है उसके 50% भाग में सिर्फ वही कार्य होता है उस जगह का नाम कोयलॉर्ड है|

कोयलार्ड में क्या होता है ? What happens in the coalyard?

  • यहां पर कोयले की ट्रेनें आती है जिनमें कोयला लदा होता है उन ट्रेनों में कोयला कई तरह से होता है छोटे-छोटे बड़े-बड़े और बहुत बड़े बड़े टुकड़ों में कोयला आता है जो कि उसको कोयलार्ड जगह पर रखा जाता है उसको उतारने के लिए कई तरह के यंत्र यूज किए जाते हैं |
  • कोयला जब ट्रेनों में आता है उसके बाद जहां पर ट्रेन खड़ी रहती है उसी ट्रेन के पटरी ओं के बगल में एक डिब्बों के नीचे जाली नुमा जगह बनी रहती है |
  • कोयले के डिब्बों को खोल दिया जाता है जोकि डिब्बों के निचली सतह से कोयला गिरता है और उन जालियों के द्वारा नीचे स्टोर में चला जाता है |
  • फिर एक मशीन लगी होती है जोकि ट्रेन की पटरियों पर ऊपर से लगी रहती है और जैसे ही ट्रेन आती है उस ट्रेन के डिब्बों को अलग कर दिया जाता है जहां पर वह मशीन लगी होती है उसी के पास ट्रेन को ले जाया जाता है |

  • और 1,1 डिब्बे को मशीन, जो क्रेन के जैसे बनी होती है उसको पकड़कर उलट देती है और उसमें कसारा कोयला नीचे स्टोर में चला जाता है |
  • इसी तरह ट्रेन को आगे बढ़ाया जाता है और 1,1 डिब्बों को खोल दिया जाता है एवं वह मशीन डिब्बे को पकड़कर उलट देती है और कोयला नीचे गिर जाता है|
  • उस कोलयार्ड में काफी भारी भरकम मशीन होती है जो कि उसे उठाती है वह मशीन पटेरिया पर चलाई जाती है|
  • वह उस मशीन के दोनों तरफ उठाने वाला बना रहता है जिसकी सहायता से कोयले को उठाया जाता है वह मशीन काफी दूर तक के कोयले को उठा सकती है जोकि क्रेन के जैसे ही बनी होती है पर उसकी लंबाई बहुत बड़ी होती है|
  • फिर वहां पर एक मशीन लगी होती है जिस मशीन में कन्वेयर बेल्ट लगा होता है उस बेल्ट की सहायता से कोयले को मशीन के पास तक ले जाया जाता है उस मशीन का नाम क्रशर मशीन होता है|
  • इस क्रशर मशीन हम कोयले को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देते हैं अब तोड़ने के बाद इसे अभी हम जलने के लिए आगे नहीं भेजते हैं इस कोयले को आगे पलवल राइस करने के लिए आगे बाउल मशीन में भेज देते हैं|
  • बाउल मिल में क्या होता है इस पहले को छोटे-छोटे टुकड़ों में जो कोयला होता है उसको पीस कर पाउडर के जैसे कि सीमेंट होते हो वैसे ही उतना महीने से पीस दिया जाता है|
  • ताकि पूरा जल जाए कंपलीटली जल जाए ताकि इसकी जो राख वह कम निकले ज्यादा ना निकले|

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कोयला जो कि एकदम जाता है आटे के नुमा पीसा जाता है उस कोयले को बाउल मशीन में डाला जाता है | वहां पर यह कोयला जो कि बड़े कड़ वाला होता है वह नीचे गिर जाता है नीचे गिर कर जलने लगता है और जो पीसा हुआ होता है वह उड़ते हुए भाप के जैसे चलता है उसमें पाइप के द्वारा गर्म हवा दी जाती है ताकि कोई कोयले में नमी ना रह जाए और वह अच्छे से जल सके|

जलने के बाद जो राख होती है वह नीचे पाइप द्वारा नीचे गिर जाती है जहां पर एक चलनी नुमा लगा होता है जिससे छन छन कर वह राख स्टोर रूम में गिर जाती है और फिर उस राख को सीमेंट फैक्ट्री में भेज दिया जाता है |

उस बाउल मशीन में पाइप लगी होती है जिनमें पानी भरा रहता है यह पाइप कुछ दूरी पर होती हैं और पतली होती हैं जिनमें पानी रहता है या पानी पाइपों में गर्व हो जाता है|

उस बाउल मशीन में इतना ज्यादा पावर हीट हो जाता है कि वह पानी खोलने लगता है और भाप बन जाता है वह बहुत ही High-temperature पर होती है जो हाई टेंपरेचर पर आता है |

उस स्ट्रीम को हम टरबाइन पर से गुजारा जाता है जोकि इतना हाई टेंपरेचर रहता है इसी की वजह से यह टरबाइन बहुत ही तेजी से नाचने लगती है और इसी टरबाइन में बाद एक जनरेटर लगा रहता है जिससे वह घूमता है और बिजली बनने लगती है |

यूं कहें कि टरबाइन को घुमाने के लिए हमें हाई टेंपरेचर की स्टीम चाहिए| स्टीम को बनाने के लिए हमें पानी और कोयला चाहिए उसी टरबाइन से फिर हमारा जनरेटर चलता है जिससे कि बिजली उत्पन्न हो जाती है तो इस तरह से विद्युत घर में बिजली बनाई जाती है |

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