पूजा पाठ के नियम : इन 4 कामों के बिना पूजा व्यर्थ और पूजा में सफलता के मंत्र | Puja path ke niyam

Pooja path ke niyam : पूजा पाठ के नियम हे दोस्तों नमस्कार आज हम आप लोगों को पूजा पाठ के नियम बताएंगे और बताएंगे कि नित्य पूजा करने से कौन से लाभ होते है. इसके अलावा और भी कई ऐसी चीजें बताएंगे जिनको जानने के बाद आपको रोज पूजा करने में कभी भी कोई भी दिक्कत या अड़चन नहीं आएगी और आपको उस पूजा का फल भी प्राप्त होगा पूजा पाठ से जहां व्यक्ति को आत्मा की सुख और शांति प्राप्त होती है वहीं इससे भगवान का आशीर्वाद भी मिलता है.

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शास्त्रों में पूजा पाठ करने के कई तरह के नियम बताए गए हैं। जिसका अनुसरण करने पर जीवन सफल और शांति पूर्वक बीतेगा तो चलिए आज हम आप लोगों को बताते हैं कि पूजा पाठ के नियम कौन-कौन से हैं पूजा कैसे करें पूजा पाठ का अर्थ क्या होता है पूजा करने से पहले कौन सा मंत्र बोला जाता है इन सारे विषयों पर चर्चा करेंगे और आपको इन सारे विषयों की जानकारी प्रदान करें अगर आपको पूजा पाठ करने के नियम नहीं पता है तो आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ सकते हैं और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

पूजा कैसे करें ?

सुबह पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है सुबह 4 अभी उठे अपना कार्य करें उसके बाद स्नान करें सूर्य देव को जल चढ़ाएं और उसके बाद तुलसी में जल चढ़ाएं और अपने मंदिर में पूजा करने जाएं सबसे पहले सभी देवी देवताओं को स्नान कराएं.

उसके बाद भगवान को रोली लगाएं फूल चढ़ाएं भोग लगाएं और धूप दीप करते हुए पंच देवता की पूजा करें उसके बाद कुल देवता की पूजा करें. उसके बाद अपने पूर्वजों की पूजा करें और आरती कर ले रोज की पूजा ऐसे ही करनी चाहिए।

पूजा पाठ का अर्थ

पूजा पाठ सरकार को कहते हैं अच्छा काम दुनिया में जितने भी अच्छे काम है वह सब पूजा है अगर आप कभी भी किसी व्यक्ति को खाना खिलाते हैं या फिर किसी भी प्रकार की उसकी मदद करते हैं तो वह एक प्रकार की पूजा ही है।

पूजा पाठ के नियम | Puja path ke niyam

  1. पूजा जितना ज्यादा करें उतना ही कम है और जितनी कम करें उतनी ही ज्यादा है कोई भी जरूरी नहीं है आपको जितना टाइम मिले आप उतना ही टाइम दें लेकिन रोज पूजा जरूर करें रोज भगवान के सामने दीपक जलाएं भगवान का नाम जरूर ले अगर आप चलते फिरते भगवान का नाम लेते हैं तो भगवान उनकी भी सुनते हैं और उनको भी हमेशा शुभ फल प्राप्त होता है।
  2. रोज सुबह शाम भगवान के सामने दीपक जलाएं और भोग लगाएं और किसी एक मंत्र का जाप करें और क्षमा याचना कर ले तो इसका बहुत अधिक सकारात्मक प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।
  3. हमें पंच देवता की पूजा सबसे पहले करनी चाहिए फिर श्री गणेश जी की पूजा कोई भी पूजा करने से पहले श्री गणेश की पूजा की जाती है तो पूजा स्वीकार हो जाती है और मां दुर्गा की पूजा अंत में की जाती है क्योंकि वह जगत जननी है जगदंबा और परम शक्ति इसीलिए उनकी पूजा सबसे अंत में की जाती है।
  4. हमें कुछ देवता और पूर्वज की भी पूजा करनी चाहिए और वायु देवता को भी जरूर याद करना चाहिए हमें पंचोपचार से पूजा करनी चाहिए पंचोपचार का अर्थ होता है सबसे पहले भगवान को स्नान कराएं फिर धूप दीप चंदन चढ़ाएं फूल चढ़ाएं और भोग चढ़ाएं यह होते हैं
  5. पंचोपचार से पूजा करने का मतलब पंचू चाल से पूजा करने के बाद हमें आरती जरूर करनी चाहिए।
  6. उसके बाद क्षमा याचना जरूर करनी चाहिए और सबसे बड़ी बात आप जब भी भोग लगाएं तो उसमें तुलसी की पत्ती जरूर डालें क्योंकि कहा जाता है कि जब तुलसी ना डाली जाए तो भगवान हो ग्रहण नहीं करते हैं.
  7. शिव जी गणेश जी भैरव जी को तुलसी नहीं चलानी चाहिए बिना स्नान करें तुलसी को नहीं छूना या तोड़ना चाहिए रविवार एकादशी द्वादशी तेरस तथा संध्या काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।

पूजा करने से पहले कौन सा मंत्र बोलना चाहिए ?

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।। आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने

आरती के बाद कौन सा मंत्र बोला जाता है ?

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि।।

पूजा पाठ के अंत में 4 काम जरूर करें | pooja karne ke baad kya karna chahiye

जब आप नित्य पूजा करते हैं तो अंत में पूजा में उठने से पहले आपको यह 4 काम जरूर करने चाहिए जब आप रोज पूजा पाठ कर लेते हैं तो आपको यह 4 काम जरूर करना चाहिए इन 4 कामों के बिना पूजा संपन्न नहीं होंगी :

1. प्रदक्षिणा

प्रदक्षिणा सदैव अपने दाहिने हाथ से प्रारंभ करें प्रदक्षिणा समस्त 10 दिशाओं को साक्षी मानकर के प्रदक्षिणा के द्वारा समस्त कर्मों का फल अपने अंदर समाहित कर लेती है उसे प्रदक्षिणा कहते हैं। आप किसी भी देवी देवता की पूजा करते हैं तो आपको प्रदक्षिणा जरूर करनी चाहिए शास्त्र कहता है श्री दुर्गा जी की 1 प्रदक्षिणा , श्री गणेश भगवान की 3 प्रदक्षिणा , भगवान विष्णु की 4 प्रदक्षिणा , सूर्य भगवान की 7 प्रदक्षिणा, शंकर भगवान की आधी प्रदक्षिणा, अपने देवी-देवताओं की तीन प्रदक्षिणा जरूर कर लेनी चाहिए।

मंत्र

यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च। तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे-पदे।।

2. क्षमाप्रार्थना

भले ही आपने कितने भी विधि विधानओं से पूजा की हो फिर भी कहीं ना कहीं कोई ना कोई छोटी सी त्रुटि पूजा में रह ही जाती है इसीलिए भगवान से क्षमा प्रार्थना जरूर करनी चाहिए कि कहीं पर भी कोई भी पूजा में कमी रह गई हो तो हे भगवान मुझे क्षमा करना ।

मंत्र

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्. पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर

3. साष्टांग प्रणाम

जब आप पूजा पाठ पूरी कर लेते हो तो उसके बाद आपको लेट कर साष्टांग होकर प्रणाम करना चाहिए । अच्छी तरह से लेटकर अपने पूर्ण आठ अंग भगवान को समर्पित करने चाहिए। लेकिन स्त्रियों को बस घुटनों के बल बैठकर भगवान को प्रणाम करना चाहिए।

4. समर्पण

आप पूजा कर लेते हो तब आप अपनी समस्त पूजा सर्वांग पूजा भगवान को समर्पित कर दीजिए।

FAQ : पूजा पाठ के नियम

पूजा पाठ करने से क्या फायदा ?

पूजा पाठ करने से आपके सारे बिगड़े काम बन जाएंगे और आपके घर में सुख शांति का माहौल बना रहेगा और आप कभी भी दुखी नहीं रहेंगे

ज्यादा पूजा पाठ करने से क्या होता है?

ज्यादा पूजा करने से हमें सुख शांति और धन की प्रप्ति होती है और भगवन का आशीर्वाद मिलता है आपके सारे कम अच्छे होते है.

भगवान दुःख क्यों देते हैं?

भगवान कभी दुःख नहीं देते है भगवान हमेशा सुख ही देते हैं अब इंसान ये समझते है कि भगवान हमें दुख देते है भगवान कभी भी किसी को दुःख नहीं देते है.

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को बताया कि पूजा पाठ के नियम क्या है तो आप लोगों को यह आर्टिकल पढ़ने के बाद समझ में आ गया होगा कि पूजा पाठ करने के नियम कौन-कौन से हो सकते हैं अगर आप लोग इन नियमों को अपनाते हैं.

तो आप रोज की पूजा बहुत अच्छी तरीके से और विधि विधान पूर्वक कर सकते हैं अगर आप इन नियमों को अपनाते हैं तो आपकी जिंदगी में बहुत कुछ अच्छा भी हो सकता है तो आप इन नियमों को जरूर अपनाएं .

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