पीपल पूजन नियम : शुक्रवार को पीपल की पूजा करनी चाहिए या नहीं ? | Shukrawar ko Pipal ki Puja Karni chahiye ya nahi

शुक्रवार को पीपल की पूजा करनी चाहिए या नहीं | Shukrawar ko Pipal ki Puja Karni chahiye ya nahi : हेलो मित्रों नमस्कार आज मैं आप लोगों को इस आर्टिकल में शुक्रवार को पीपल की पूजा करनी चाहिए या नहीं इस टॉपिक पर जानकारी प्रदान करूंगी, वैसे तो पीपल की पूजा करना निम्न प्रकार के शुभ फल प्राप्त होते हैं.

शुक्रवार को पीपल की पूजा करनी चाहिए या नहीं | Shukrawar ko Pipal ki Puja Karni chahiye ya nahi

क्योंकि पीपल के वृक्ष को लेकर स्कंद पुराण में बताया गया है पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की छाया रहती है इसलिए पीपल के वृक्ष की विधिवत पूजा करने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है.

लेकिन शास्त्रों में एक ऐसा दिन बताया गया है जिस दिन पीपल के वृक्ष पर पूजा करना अशुभ माना गया है इसलिए जो लोग प्रतिदिन पीपल के वृक्ष की पूजा अर्चना करते हैं उन लोगों को यह जानकारी होनी चाहिए कि किस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा नहीं करनी चाहिए.

क्योंकि इस सप्ताह के सातों दिन अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित है , इसीलिए हमें किसी भी पूजा-पाठ को करने से पहले जान लेना चाहिए कि यह दिन किस देवी देवता का है उसके बाद है वह पूजा करनी चाहिए और आज मैं इन्हें विशेष बातों को ध्यान में रखते हुए बताऊंगी.

शुक्रवार को पीपल की पूजा करना शुभ है या अशुभ यानी कि इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना चाहिए या नहीं अगर करना चाहिए तो क्यों और अगर नहीं करना चाहिए तो क्यों नहीं करना चाहिए इसके विषय में भी बताएंगे अगर आप लोग इस जानकारी को प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख को शुरू से अंत तक अवश्य पढ़ें.

शुक्रवार को पीपल की पूजा करनी चाहिए या नहीं | Shukrawar ko Pipal ki Puja Karni chahiye ya nahi

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मान्यताओं के अनुसार ऐसा बताया गया है शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी की बड़ी बहन आलक्ष्मी और उनके पति ऋषि का पीपल के वृक्ष में वास होता है जो दरिद्रता के कारक माने गए हैं. इसीलिए इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से जीवन में दरिद्रता आती है और आए दिन नई नई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा ना करने की वजह

अब तक आप लोगों ने जाना शुक्रवार के दिन पीपल की पूजा नहीं करनी चाहिए अब आइए हम आप लोगों को इसके पीछे का कारण बताते हैं आखिर शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए. धार्मिक ग्रंथों की मान्यता अनुसार बताया गया है समुद्र मंथन के दौरान समुद्र मंथन में माता लक्ष्मी से पहले उनकी बड़ी बहन आलक्ष्मी यानी क‍ि (ज्येष्ठा या दरिद्रा) उत्पन्न हुईं.

उसके बाद माता लक्ष्मी प्रकट हुई थी जिनके पास रहने का खुद का कोई निश्चित स्थान नहीं था जिसके लिए वह दोनों देविया विष्णु भगवान के पास गई और उनसे अपना दुख बताते हुए उनसे निवेदन करने लगी है, हे जगत पालनहार हमें रहने के लिए स्थान दें.

तब भगवान विष्णु ने उन दोनों के कष्ट को समझते हुए उन्हें पीपल के वृक्ष में वास करने के लिए कहा तब से माता लक्ष्मी और उनकी बड़ी बहन आलक्ष्मी दरिद्रता पीपल के वृक्ष में रहने लगी. कुछ समय बाद भगवान विष्णु माता लक्ष्मी से विवाह करना चाहते थे. जिसके लिए उन्होंने अपनी इच्छा माता लक्ष्मी के समक्ष प्रस्तुत किया.

मगर माता लक्ष्मी ने यह बात कह कर टाल दिया कि अभी हमारी बड़ी बहन आलक्ष्मी दरिद्रता अविवाहित है उसके विवाहित हो जाने के बाद ही मैं अपनी शादी करूंगी. तब भगवान विष्णु ने लक्ष्मी की बड़ी बहन लक्ष्मी दरिद्रता से पूछा आपको कैसा वर चाहिए.

तब दरिद्रता ने भगवान विष्णु से कहा मुझे ऐसा वर चाहिए जो शादी के बाद पूजा पाठ ना करें और साथ ही मुझे भूलोग पर ऐसे स्थान पर आश्रय दें, जहां कोई भी पूजा-पाठ न करता हो. भगवान विष्णु सोच में पड़ गए ऐसा कौन सा मनुष्य होगा, जो शादी के बाद पूजा पाठ नहीं करेगा और भूलोग पर ऐसा कौन सा स्थान होगा.

जहां किसी भी प्रकार का धार्मिक कार्य न किया जाता हों, लेकिन फिर भी उन्होंने लक्ष्मी से शादी करने के लिए उनकी बड़ी बहन आलक्ष्मी के लिए वर खोजने की तलाश में निकल पड़े, कुछ समय पश्चात भगवान विष्णु ने दरिद्रता के लिए ऋषि नामक एक वर खोज ही लिया, उसके बाद लक्ष्मी की बड़ी बहन और ऋषि मुनि को शादी के सूत्र से बांध दिया गया.

अब शादी के बाद दरिद्रता के निवास के लिए एक ऐसा स्थान चुनना था जहां पर कोई भी धार्मिक कार्य ना होते हो, शादी के बाद ऋषि मुनि अपनी पत्नी दरिद्रता के रहने का स्थान खोजने के लिए निकल पड़े. ऋषि मुनि ने काफी प्रयत्न किया, मगर उन्हें भूलोक पर ऐसा कोई स्थान नहीं मिला जहां पर किसी भी प्रकार का धार्मिक पूजा-पाठ ना होता हो.

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तब ऋषि मुनि को यह सोचकर बड़ी लज्जा हुई कि वह अपनी पत्नी के लिए उसका मनभावन निवास स्थान भी न खोज सके और वह इसी लज्जा के कारण दोबारा घर वापस नहीं आए. जब ऋषि मुनि के गए काफी समय बीत गया, तो तब माता लक्ष्मी की बड़ी बहन दरिद्रता विलाप करने लगी और जब माता लक्ष्मी को पता चला कि उनकी बड़ी बहन कष्ट में है, तो भगवान व‍िष्‍णु से कहा क‍ि जब तक बड़ी बहन की गृहस्थी नहीं बस जाती मैं व‍िवाह नहीं कर सकती हूं.

माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से निवेदन किया है जगत पालनहार आप कोई ऐसा मार्ग निकालें. जिससे मेरी बहन को रहने का उसकी इच्छा अनुसार स्थान प्राप्त हो सके, तब माता लक्ष्मी को दुखी देख भगवान विष्णु ने लक्ष्मी से कहा देवी भूलोक पर ऐसा स्थान मिलना असंभव है. जहां पर कोई भी पूजा-पाठ ना करता हो.

तब भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी की आग्रह करने पर उनसे कहा मैं धरती पर अपने निवास स्थान यानी कि पीपल के पेड़ पर ही दरिद्रता को और उनके पति ऋषि को रहने का स्थान देता हूं. मगर उनके लिए सिर्फ एक ही दिन इस वृक्ष पर निवास करने का पूर्ण रूप से अधिकार होगा और वह दिन शुक्रवार का होगा.

इस दिन इस पेड़ से मेरे साथ साथ समस्त देवी देवता पीपल के निवास स्थान को त्याग देंगे और इस दिन सिर्फ दरिद्रता और उनके पति का पीपल के वृक्ष पर पूर्ण रूप से अधिकार होगा, विष्णु जी की इस राय से माता लक्ष्मी प्रसन्न हुई.

तब से लेकर आज तक शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना वर्जित बताया गया है. क्योंकि शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष पर पूर्ण रूप से माता लक्ष्मी की बड़ी बहन आलक्ष्मी यानी की दरिद्रता और उनके पति ऋषि देव का पूर्ण रूप से अधिकार होता है.

इसीलिए इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से घर में दरिद्रता आ जाती है, जिसके चलते प्रतिदिन नई-नई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने के नुकसान

हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष को पवित्र माना गया है, जिसकी पूजा करने से कई तरह के लाभ प्राप्त होने के विषय में बताया गया है लेकिन शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना अशुभ माना गया हैं, अगर कोई भी जातक जातिका शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करता है तो उसे निम्न प्रकार के नुकसान प्राप्त होते हैं जिनके विषय में नीचे बताया जा रहा है :

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  1. शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से सुख समृद्धि की हानि होती है.
  2. शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश होता है.
  3. शुक्रवार का दिन सूर्य देव का है और सूर्य देव श्री शनिदेव का तालमेल अच्छा नहीं बैठता है. इसलिए इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से शनि देव रूष्ट हो जाते हैं.
  4. शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से घर में दरिद्रता आती है.
  5. शुक्रवार के दिन पीपल की पूजा करने से परिवारिक संबंधों में कड़वाहट आती हैं.

FAQ : शुक्रवार को पीपल की पूजा करनी चाहिए या नहीं

पीपल के पेड़ को जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए ?

शास्त्रों में पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाने की परंपरा को लेकर ऐसा माना गया है सूर्य अस्त होने के बाद पीपल के वृक्ष पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए, साथ में रविवार के दिन भी पीपल के वृक्ष कि किसी भी प्रकार की पूजा-अर्चना नहीं करनी चाहिए.

पीपल के पेड़ में दिया कब जलाना चाहिए ?

मान्यता है कि प्रत्येक अमावस्या की रात्रि पीपल के पेड़ के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाने से समस्त मनोकामना की पूर्ति होती है.

शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाने से क्या होता है ?

शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं जिससे जीवन में सुख शांति आती है.

निष्कर्ष

तो दोस्तों जैसा कि आज मैंने आप लोगों को इस आर्टिकल में शुक्रवार को पीपल की पूजा करनी चाहिए या नहीं, इस टॉपिक से जुड़ी जानकारी प्रदान करने की पूरी कोशिश की है जिसमें मैंने आप लोगों को कई धार्मिक ग्रंथों में शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा नहीं करने के विषय में बताया है, साथ में शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए इसकी सबसे बड़ी वजह बताइ हैं.

अगर आप लोगों ने इस लेख को शुरू से अंत तक पढ़ा होगा तो आप लोगों को शुक्रवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए या नहीं इस टॉपिक से संबंधित जानकारी प्राप्त हो गई होगी.