राधा नाम की महिमा | Radha Naam ki mahima kya hai ? नमस्कार दोस्तों आईये हम आपको राधा रानी के बारे में बताने वाले है जो आप टीवी ,और किताबो में पढ़ें होंगे,और राधा रानी की कहानी देखी, भी होंगी ,और हम आज राधा रानी के बारे में बताने जा रहे है, कि राधा रानी कृष्ण से प्यार करती थी ,राधा रानी देवी लक्ष्मी का अवतार है.
राधा रानी के तीन पुत्र थे, राधा रानी की महिमा अनंत है, राधा रानी का जन्म मथुरा के पास बरसाना गाव में हुआ|राधा रानी को भगवान जपते थे, और यहा तक देवी देवताओ भी जपते थे अगर आप राधा रानी का नाम सुबह शाम लेने से आपके सरे दुःख दूर हो जायेंगे| radha naam jap ki mahima kya hai?
राधा नाम की महिमा | Radha Naam ki mahima
राधा नाम की महिमा अपरंपार है , श्री कृष्ण स्वयं कहते है, कि जिस समय में किसी के मुख से “रा” सुनता हूं, तो उसे मैं अपना भक्त प्रेम प्रदान करता हूं , और “धा” शब्द के उच्चारण करने पर तो मैं “राधा” नाम सुनने के लोभ से उसके पीछे चल देता हूं
श्री कृष्ण के साथ श्री राधा सर्वोच्च देवी में विराजमान है| श्री कृष्ण जगत को मोहते है, और राधा कृष्ण को 12 वि सदी जय देव जी के गीत गोविन्द रचना से सम्पूण भारत में श्री कृष्ण और राधा के आध्यात्मिक प्रेम सम्बन्ध का जन जन में प्रचार हुआ|
श्री कृष्ण राधा नाम के महिमा करते हुए कहते हैं ?
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‘रा’ शब्दं कुर्वतस्त्रस्तो ददामि भक्तिमुत्तमाम्।
‘धा’ शब्दं कुर्वतः पश्चाद् यामि श्रवणलोभतः॥
श्री कृष्ण स्वयं कहते है, कि जिस समय में किसी के मुख से “रा” सुनता हूं, तो उसे मैं अपना भक्त प्रेम प्रदान करता हूं , और “धा” शब्द के उच्चारण करने पर तो मैं “राधा” नाम सुनने के लोभ से उसके पीछे चल देता हूं
मम नाम शतेनैव राधा नाम सकृत समम।
य: स्मरते सर्वदा राधा न जाने तस्य किं फलम।
भाव- श्री कृष्ण कहते हैं कि जिस भी भक्त ने राधा नाम के 100 नाम स्मरण कर लिए तो राधा रानी का एक बार नाम ले लिया तो दोनों का फल एक समान होता है. लेकिन जिस भी भक्त ने सदा के लिए राधा नाम का जाप कर लिया तो फल मिलता है.
श्री राधा रानी के नाम की महिमा क्या है ?
हमारी राधा रानी की महिमा अनंत है,राधा रानी नाम की कोई मन्त्र नही होता है, राधा रानी को भगवान जपते थे, और सभी देवी देवता और यहां तक कि भगवान कृष्ण भी राधा जी को भजते है|
अपने कभी किसी भगवान को किसी महाशक्ति के पैर दबाते हुए देखा है पर साक्षात भगवान श्री कृष्ण जी राधा रानी के चरणों में परिक्रमा करते थे आईये हमारी प्यारी राधा रानी जी की महिमा अनंत जानिए
श्री राधे रानी बरसाने वाली हैं सभी कहते हैं | Shri Radhe Rani brsane vali hai sabhi khte hai
” राधे राधे बरसाने वाली राधे “
क्योंकि श्री राधा रानी साक्षात कृपा करने वाली है,वह गरजने वाली नहीं है, क्योंकि जो गरजते हैं| वो बरसते नहीं लेकिन हमारी प्यारी राधा रानी बरसाने वाली है| वह बस अपनी कृपा भक्तों पर बरसाती रहती हैं , और ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी है
वह हमारे श्री श्याम जी की श्री राधा रानी है ,आप जानते हो उसी राधा रानी के नाम को जो आज भी लेते हैं,उसके आगे भगवान विष्णु दूरदर्शन चक्र लेकर चलते हैं, हमारी प्यारी राधा रानी के नाम का बस एक उनके नाम का आश्रय ले लीजिए और उन पर सब छोड़ दीजिए वह जरूर कृपा करें
राधा रानी की कृपा कैसे होगी ? | Radha rani ki kripa kaise hogi ?
श्री राधा नाम का राह दे आपको दिखाएं वही वो हमारी श्री राधा रानी है.
“हे राधे करु करुणामयी सुललिते हे कृष्ण चिंतामणि है”
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“श्री रॉस रसेश्वरी सुविमले कांते कांति प्रदायनी मधुमयी मोदप्रदे माधवी भक्तनन्द समस्त साख्य सरिते श्री राधिके पातु माँ”
“राधे तू बड़भागिनी कौन तपस्या किन्हीं ||
“तीन लोक तारन तरन सो तेरे आधीन ||
श्री कृष्ण राधा रानी के बारे में क्या कहते है ? What does Shri Krishna say about Radha Rani?
श्री कृष्ण ने अपने और श्री राधा के अभेद का प्रतिपादन करते हुए कहा है, कि श्री राधा की कृपा कटाक्ष के बिना किसी को मेरे प्रेम की उपलब्धि नहीं हो सकती है, वास्तव में श्री राधा कृष्णा एक ही देह हैं,श्री कृष्ण की प्रतीक और मोक्ष दोनों श्री राधा जी की कृपा सब पर निर्भर है, श्री राधा नाम की महिमा का स्वयं श्री कृष्ण ने इस प्रकार गान किया है|
जिस समय मैं किसी के मुख से रा सुन लेता हू, उसी समय उसे अपना उत्तम भक्ति प्रेम प्रदान कर देता हूँ और धा शब्द का उच्चारण करने पर तो मैं प्रियतमा श्री राधा का नाम सुनने के लोभ से उसके पीछे- पीछे दौड़, ( धावति ) लगा देता हूं, ब्रज के रसिक संत श्री किशोरी अलजी ने इस भाव को प्रकट किया है|
“आधौ नाम तारिहै राधा”
“रा” के कहत रोग सबमिटी है “धा” के कहतमिटै सब बाधा||
“राधा राधा नाम की महिमा गावत वेद पुराण अगाधा||
“अलि किशोरी रटौ निरन्तर वेगहि लग जाय भाव समाधा||
श्री राधा के 16 नामों की व्याख्या | Shri radha ke 16 name ke vyaakhya
“ब्रह्मवैवर्त पुराण” के “श्री कृष्ण जन्म खंड” में स्वयं “भगवान नारायण” ने “नारद जी” से कहीं है।
राधा रासेस्वरी रासवासिनी रसिकेश्वरी।
कृष्णप्राणाधिका कृष्णप्रिया कृष्णस्वरूपिणी।।
कृष्णवामांगसम्भूता परमानन्दरूपिणी ।
कृष्णा वृन्दावनी वृन्दा वृन्दावनविनोदिनी ।।
चन्द्रावली चन्द्रकान्ता शरच्चन्द्रप्रभानना ।
नामान्येतानि साराणि तेषामभ्यन्तराणि च।।
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