Surya grahan kya hota hai ? आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं कि सूर्य ग्रहण क्या होता है, तो अगर आप इसके बारे में जानने में रुचि रखते हैं, तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें. अभी हाल ही में पूरी दुनिया में सूर्य ग्रहण लगा था.
वैसे तो दुनिया के लोग इसे एक सामान्य घटना के तौर पर देखते हैं. परंतु हमारे भारत देश के अलावा श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों में इसे धार्मिक मान्यता के साथ जोड़कर देखा जाता है. क्योंकि जहां हिंदू आबादी रहती है. वह सूर्य ग्रहण के महत्व को अच्छी प्रकार से जानती है.
इसलिए सूर्य ग्रहण के दिन लोग कुछ काम करते हैं और कुछ काम नहीं करते है. इसके अलावा कई तांत्रिक लोग सालों साल सूर्य ग्रहण आने का इंतजार करते हैं. क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि तांत्रिक लोग सूर्य ग्रहण के दिन कुछ विशेष प्रकार की सिद्धियों को सिद्ध करने का प्रयास करते हैं और सूर्य ग्रहण के दरमियान उनकी सिद्धियां जल्दी सिद्ध हो जाती हैं.
इसके अलावा पंडित लोग भी अपने मंत्र को जागृत करने के लिए सूर्य ग्रहण का इंतजार करते हैं, तो आइए आज के इस आर्टिकल में हम जानने का प्रयास करते हैं कि सूर्य ग्रहण क्या होता है ?
- 1. सूर्य ग्रहण क्या होता है? | What Is surya grahan
- 2. सूर्य ग्रहण कितने प्रकार का होता है ?
- 2.1. 1. पूर्ण सूर्य ग्रहण क्या होता है ?
- 2.2. 2. आंशिक सूर्य ग्रहण क्या होता है ?
- 2.3. 3. वलयाकार सूर्य ग्रहण क्या होता है ?
- 3. सूर्य ग्रहण देखते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए ?
- 4. सूर्य ग्रहण में क्या नहीं करना चाहिए ?
- 5. सूर्य ग्रहण में क्या करें ?
सूर्य ग्रहण क्या होता है? | What Is surya grahan
जब हमारी पृथ्वी तथा सूरज के बीच चंद्रमा आ जाता है, तो ऐसी अवस्था में सूरज का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता है और ऐसा होने पर पृथ्वी की सतह के कुछ हिस्से पर दिन में ही अंधेरा छा जाता है. जिसे सूर्यग्रहण कहा जाता है. अगर चंद्रमा एक निश्चित वृत्तीय कक्षा तथा समान कछिया समतल पर परिक्रमा करता है, तो हर अमावस को सूर्य ग्रहण की स्थिति बन जाती है.
परंतु चंद्रमा का कक्षीय समतल पृथ्वी के कक्षीय समतल से 5o का कोण बनाता है और इसी के कारण चंद्रमा की परछाई हमारे पृथ्वी ग्रह पर हमेशा नहीं पड़ती है. हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सूर्यग्रहण तभी होता है. जब चंद्रमा अमावस को पृथ्वी ग्रह के कक्षीय समतल के पास होता है.
सूर्य ग्रहण कितने प्रकार का होता है ?
हम आपको बता दें कि सूर्यग्रहण टोटल तीन प्रकार का होता है : पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण तथा वलयाकार सूर्य ग्रहण.
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1. पूर्ण सूर्य ग्रहण क्या होता है ?
पूर्ण सूर्य ग्रहण कब लगता है, जब हमारी पृथ्वी सूर्य तथा चंद्रमा के साथ एक सीधी रेखा में आती है और ऐसा होने से पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है तथा जो आदमी पूर्ण सूर्यग्रहण को देख रहा होता है. वह इस छाया क्षेत्र के केंद्र में होता है. ऐसी अवस्था तब बनती है.
जब चंद्रमा हमारे पृथ्वी के आस पास होता है. अगर सूरज और चंद्रमा के आकार के बारे में तुलना की जाए, तो चंद्रमा का आकार 400 गुना छोटा होता है. परंतु दोनों समान आकार के दिखाई देते हैं. क्योंकि हमारी पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी, पृथ्वी से सूरज की दूरी की तुलना में 400 गुना कम होती है.
2. आंशिक सूर्य ग्रहण क्या होता है ?
जब चंद्रमा ग्रह की परछाई सूरज के पूरे भाग को नहीं ढक के रखती है और जब वह सूरज के पूरे भाग को ढकने की जगह पर किसी एक हिस्से को ही ढकती है. तब उसे आंशिक सूर्यग्रहण कहा जाता है.
3. वलयाकार सूर्य ग्रहण क्या होता है ?
ऐसी स्थिति का निर्माण तब होता है, जब चंद्रमा हमारी पृथ्वी से दूर होता है तथा इसका आकार छोटा सा दिखाई देता है. जिसके कारण चंद्रमा सूरज को पूरी तरह से नहीं ढक पाता है और सूरज एक अग्नि वलय की तरह दिखाई देता है.
सूर्य ग्रहण देखते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए ?
हम आपको बता दें कि सूर्यग्रहण देखते समय आपको कुछ सावधानियां रखनी होती है. आप पूर्ण सूर्य ग्रहण के दरमियान सूरज को नंगी आंखों से देख सकते हैं. परंतु आंशिक सूर्यग्रहण को देखने के लिए तथा वलयाकार सूर्यग्रहण को देखने के लिए आपको टेलिस्कोप का इस्तेमाल करना चाहिए.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सूर्यग्रहण को बिना आंखों में कोई उपकरण लगाए देखना खतरनाक साबित हो सकता है. अगर आप ऐसा करते हैं, तो आपको परमानेंट अंधापन का सामना करना पड़ सकता है या फिर आपकी रेटिना में जलन भी हो सकती है. इसीलिए सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने के लिए मना किया जाता है.
सूर्य ग्रहण लगने पर उसके अंदर से खतरनाक पराबैंगनी किरणें निकलती हैं और यह हमारी आंखों में मौजूद रेटिना में उन कोशिकाओं को नष्ट करने का काम करता है. जिनका काम रेटिना की सूचना को दिमाग तक पहुंचाने का होता है. जिसके कारण अंधापन, कलर ब्लाइंडनेस तथा हमारे देखने की शक्ति कमजोर हो जाती है. इसीलिए सूर्यग्रहण को देखने के लिए टेलिस्कोप की सहायता लेनी चाहिए और सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए.
सूर्य ग्रहण में क्या नहीं करना चाहिए ?
- ऐसी मान्यता है कि जब सूर्य ग्रहण लगता है. तब व्यक्ति को पानी और भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. क्योंकि कहा जाता है कि ग्रहण काल के दरमियान आदमी की पाचन शक्ति बहुत ही कमजोर हो जाती है. ऐसे में जब व्यक्ति भोजन करता है, तो उसके बीमार पड़ने की संभावना ज्यादा होती है. इसलिए लोग सूर्य ग्रहण के दरमियान खाना अथवा पानी का सेवन नहीं करते हैं.
- अगर कोई व्यक्ति सूर्यग्रहण के दरमियान किसी भी अच्छे अथवा शुभ काम की शुरुआत करता है, तो उसे उस काम में असफलता का सामना करना पड़ता है. इसीलिए यही सलाह है कि आपको सूर्य ग्रहण लगने पर कोई भी शुभ काम नहीं चालू करना चाहिए वरना आपको असफलता का मुंह देखना पड़ेगा.
- सूर्य ग्रहण के दरमियान दांतो की सफाई करना मना है. इसके अलावा बालों में कंघी करना तथा अपने नाखून काटना भी मना है, साथ ही सूर्य ग्रहण के दरमियान कभी भी व्यक्ति को सोना नहीं चाहिए.
- जो महिलाएं गर्भवती होती हैं. उन्हें सूर्य ग्रहण की छाया से बचने की सलाह दी जाती है. क्योंकि इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि छाया का प्रभाव अगर गर्भवती महिला के बच्चे पर पड़ता है, तो इससे उसे नुकसान हो सकता है.
- सूर्य ग्रहण के दरमियान छूरी और चाकू जैसी तेज धार वाली चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, साथ ही इसके दरमियान किसी भी प्रकार का सिलाई अथवा कढ़ाई का काम भी नहीं करना चाहिए.
- जो सब्जियां पहले से ही काट कर रखी गई है या फिर फल पहले से ही काट कर रखे गए हैं. उनका इस्तेमाल सूर्य ग्रहण में नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन्हें अशुद्ध माना जाता है.
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सूर्य ग्रहण में क्या करें ?
- जब सूर्य ग्रहण चालू हो जाए, तब आपको अपने आपको शुद्ध कर लेना है. इसीलिए सूर्य ग्रहण से पहले आपको नहा लेना चाहिए.
- सूर्य ग्रहण के दरमियान आप अपने देवी देवता की पूजा कर सकते हैं या फिर आप सूरज भगवान के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं.
- सूर्य ग्रहण के दरमियान दान की महिमा बताई गई है, इसीलिए आप इसके दरमियान दान कर सकते हैं.
- जब सूर्य ग्रहण खत्म हो जाए तब आपको अपने घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए और फिर आपको नहाना चाहिए.
- उसके बाद घर में किसी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करना चाहिए.