गुप्त मंत्र : सर्व कार्य सिद्धि,धन प्राप्ति और 10 गुप्त महाविद्या मंत्र | Gupt mantra

Gupt mantra गुप्त मंत्र : अगर हम किसी भी सफलता के लिए साधना तपस्या करते हैं तो गुप्त मंत्र के माध्यम से ही साधना करते हैं यही गुप्त मंत्र हमें हमारी इच्छित वस्तु को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त होते हैं।

गुप्त मंत्र क्या है ? Gupt mantra

जब कोई भी मंत्र सिद्ध हो जाता है तो हमारे अंदर तमाम प्रकार की शक्तियां आ जाती हैं। सिद्ध मंत्रों के माध्यम से व्यक्ति में सिद्धियां आ जाती हैं और वह शायद स्थूल वस्तुओं से हटकर अलग हो जाता है तथा वास्तविकता का परिचय करता है।

मंत्रों का तात्पर्य है कि मनन चिंतन और ध्यान करना जिसके बाद मंत्र सिद्ध होते ही व्यक्ति सभी प्रकार के कष्टों से रक्षा करके मुक्ति और आनंद प्राप्त करता है। मंत्रों के द्वारा ही व्यक्ति आत्मा और परमात्मा से मिलन करता है अंतरात्मा की आवाज मंत्र है जिस पर व्यक्ति विचार करता है। मंत्रों के माध्यम से ही व्यक्ति को आत्मा द्वारा दिया गये आदेश पर विचार करता है।

मंत्र ज्योतिर्मय और सर्वव्यापक नेतृत्व का मनन है जिसके सिद्ध हो जाने पर विभिन्न प्रकार के कष्ट भय संकट पाप से रक्षा करने की शक्ति मिल जाती है यह सब मंत्र कहलाते हैं। मंत्र एक प्रकार का रहस्यमई विज्ञान है जिसके माध्यम से हम अदृश्य से दृश्य की ओर चलते हैं।

गुप्त मंत्र क्या है ? | Gupt Mantra kya hai ?

yoga

किसी भी प्रकार की सिद्धि प्राप्त करने के लिए शब्दों को एकत्रित करके जो मंत्र बनाए गए वह अलग अलग तरीके से कार्य करते हैं और अलग-अलग तरीकों से इन्हें सिद्ध भी किया जाता है इन्हीं को हम गुप्त मंत्र के नाम से जानते हैं।

किसी भी प्रकार की देवी या आसुरी शक्ति की साधना के लिए प्रयोग किए जाने वाले मंत्र गुप्त मंत्र होते हैं जिनसे हमारी विभिन्न प्रकार की इच्छाएं पूर्ण होती है आईये इन मंत्रों के विषय में जानते हैं।

1. धन प्राप्ति के लिए गुप्त मंत्र

यह मंत्र धन प्राप्ति के लिए सिद्ध किए जाते हैं तथा सामान्य रूप से उन्हें हम  शुद्ध आत्मा से करते हैं तो हमें धन प्राप्ति होती है। कुछ गुप्त मंत्र इस प्रकार से है इन मंत्रों को जॉप करने और सिद्ध करने से आपको धन की कमी नहीं होगी।

‘ॐ हनुमते नम:’

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।।

ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धनधान्या समृद्धिम् देहि दापय दापय स्वाहा।

‘ॐ ह्रीं पद्मावति देवी त्रैलोक्यवार्ता कथय कथय ह्रीं स्वाहा।।’

2. बाधा को नष्ट करने के लिए गुप्त मंत्र

जय माता पार्वती और भगवान शिव के जप तप और ध्यान करने से सभी प्रकार की बाधाएं नष्ट हो जाती हैं।

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥

10 महाविद्याओं के लिए गुप्त मंत्र

नीचे दिए जा रहे 10 महाविद्याओं के लिए गुप्त मंत्र है जो अलग-अलग तरीके से साधन करके सिद्ध किए जा सकते हैं।

काली, तारा महाविद्या, षोडशी भुवनेश्वरी।

भैरवी, छिन्नमस्तिका च विद्या धूमावती तथा।

बगला सिद्धविद्या च मातंगी कमलात्मिका।
एता दश-महाविद्याः सिद्ध-विद्याः प्रकीर्तिताः

 

1. तारा मंत्र

ऐं ऊँ ह्रीं क्रीं हूं फट्।।

2. भुवनेश्वरी मंत्र

ऐं ह्रीं श्रीं।।

3. मातंगी मंत्र

ऊँ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा।।

4. छिन्नमस्तिका मंत्र

श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीयै हूं हूं फट् स्वाहा।।

5. त्रिपुर भैरवी मंत्र

हस्त्रौं हस्क्लरीं हस्त्रौं।।

6. काली मंत्र

ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा।।

7. बगलामुखी मंत्र

ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानाम् वाचं मुखं पदं स्तम्भय-स्तम्भय जिह्वा कीलय-कीलय बुद्धि विनाशाय-विनाशाय ह्रीं ऊँ स्वाहा।।

8. षोडशी मंत्र-

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं क ए ह ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं महाज्ञानमयी विद्या षोडशी मॉं सदा अवतु।।

9. कमला मंत्र-

ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौः जगत्प्रसूत्यै नमः।।

10. धूमावती मंत्र-

धूं धूं धूमावती ठः ठः।।

32 यक्षिणी के लिए मंत्र

32 प्रकार की यक्षिणी शक्तियों के लिए नीचे दिए गए मंत्रों का जाप किया जाता है ‌

नाम

मंत्र

सुर सुंदरी यक्षिणी‘ॐ ह्रीं आगच्छ सुर सुंदरी स्वाहा।’
 मनोहारणी यक्षिणी‘ॐ ह्रीं आगच्छ मनोहारी स्वाहा।’
कनकावती यक्षिणी मंत्र ‘ॐ ह्रीं कनकावती मैथुन प्रिये आगच्छ-आगच्छ स्वाहा।’
कामेश्वरी यक्षिणी मंत्र‘ॐ ह्रीं आगच्छ-आगच्छ कामेश्वरी स्वाहा।’
रतिप्रिया यक्षिणी- मंत्र ‘ॐ ह्रीं आगच्छ-आगच्छ रतिप्रिये स्वाहा।’
पद्मिनी यक्षिणी- मंत्र‘ॐ ह्रीं आगच्छ-आगच्छ पद्मिनी स्वाहा।’
नटी यक्षिणी- मंत्र ‘ॐ ह्रीं आगच्छ-आगच्छ नटि स्वाहा।’
अनुरागिणी यक्षिणी- मंत्र ‘ॐ ह्रीं अनुरागिणी आगच्छ-आगच्छ स्वाहा।
विचित्रा यक्षिणी- मंत्र ‘ॐ ह्रीं विचित्रे चित्र रूपिणि मे सिद्धिं कुरु-कुरु स्वाहा।’
महाभया यक्षिणी ‘ॐ ह्रीं महाभये हुं फट्‍ स्वाहा।’
माहेन्द्री यक्षिणी‘ॐ माहेन्द्री कुलु कुलु हंस: स्वाहा।’
शंखिनी यक्षिणी‘ॐ शंख धारिणे शंखा भरणे ह्रीं ह्रीं क्लीं क्लीं श्रीं स्वाहा।’
श्मशाना यक्षिणी ‘ॐ द्रां द्रीं श्मशान वासिनी स्वाहा।’
वट यक्षिणी ‘ॐ श्रीं द्रीं वट वासिनी यक्षकुल प्रसूते वट यक्षिणी एहि-एहि स्वाहा।’
मदन मेखला यक्षिणी ‘ॐ क्रों मदनमेखले नम: स्वाहा।’
चन्द्री यक्षिणी ‘ॐ ह्रीं चंद्रिके हंस: स्वाहा।’
विकला यक्षिणी ‘ॐ विकले ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं स्वाहा।’
18. लक्ष्मी यक्षिणी‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महाल्‍क्ष्म्यै नम:।’
स्वर्णरेखा यक्षिणी ‘ॐ वर्कर्शाल्मले सुवर्णरेखा स्वाहा।’
प्रमोदा यक्षिणी‘ॐ ह्रीं प्रमोदायै स्वाहा।’
नखकोशिका यक्षिणी‘ॐ ह्रीं नखकोशिके स्वाहा।’
भामिनी यक्षिणी ‘ॐ ह्रीं भामिनी रतिप्रिये स्वाहा।’
पद्मिनी यक्षिणी ‘ॐ ह्रीं आगच्छ पद्मिनी स्वाहा।’
स्वर्णावती यक्षिणी‘ॐ ह्रीं आगच्छ स्वर्णावति स्वाहा।’
विभ्रमा यक्षिणी- मंत्र ‘ॐ ह्रीं विभ्रमे विभ्रमांग रूपे विभ्रमं कुरु रहिं रहिं भगवति स्वाहा।’
हंसी यक्षिणी ‘ॐ हंसी हंसाह्वे ह्रीं स्वाहा।’
भीषणी यक्षिणी‘ॐ ऐं महानाद भीषणीं स्वाहा।’
जनरंजिनी यक्षिणीमंत्र यथा- ‘ॐ ह्रीं क्लीं जनरंजिनी स्वाहा।’
विशाला यक्षिणी ‘ॐ ऐं ह्रीं विशाले स्वाहा।’
मदना यक्षिणीमंत्र यथा- ‘ॐ मदने मदने देवि ममालिंगय संगे देहि देहि श्री: स्वाहा।’
घंटाकर्णी यक्षिणी ‘ॐ ऐं पुरं क्षोभय भगति गंभीर स्वरे क्लैं स्वाहा।’
कालकर्णी यक्षिणी‘ॐ हुं कालकर्णी ठ: ठ: स्वाहा।

 

गुप्त मंत्र की उत्पत्ति कैसे हुई ?

आदिकाल से ही मनुष्य के अंदर भय और विश्वास, निर्भय और और अविश्वास जैसी चीजों का समावेश रहा है ऐसे में इन्हीं भय और विश्वास के कारण व्यक्ति के अंदर कुछ अदृश्य शक्तियों के प्रति विश्वास पैदा हुआ जिसे शुरुआत में प्रार्थना के रूप में प्रारंभ किया।

यक्षिणी

मनुष्य का विश्वास है की प्रार्थना करने से कोई अदृश्य शक्ति सुरक्षा प्रदान करती है ऐसे में प्रार्थना को मंत्र समझता था। इसीलिए मंत्रों का प्रयोग संपूर्ण जगत में किया जाता है था और किया जा रहा है। मंत्रों के द्वारा ही विभिन्न प्रकार के राक्षस पिशाच आदि का मारण उच्चाटन किया जाता था।

मंत्रों का उच्चारण करके बहुत से  वैद्य अपने हाथों से, नेत्रों से, त्रिशूल, झाड़ू आदि से कुछ क्रियाएं करते थे जिससे उनका असर दिखाई देता था किसी देवी देवता की मूर्ति पर, पेड़ पौधों पर ,पीपल के पत्तों पर मंत्रों का प्रयोग किया जाता था।

किसी भी  रोग से निपटारा पाने के लिए या किसी नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए विभिन्न प्रकार के शब्दों के माध्यम से मुक्ति प्राप्त की जाती थी यही मंत्र बन गए। इन मंत्रों के उच्चारण की विधि और करने की विधि उनका प्रयोग और अनुप्रयोग से भूत प्रेत डाकिनी शाकिनी आदि के लिए प्रयोग किए जाने वाले मंत्र ग्रंथ के रूप में रच दिए गए हैं।

गुप्त मंत्रों को गुप्त क्यों रखा जाना चाहिए ?

जब कोई साधक किसी गुरु से मंत्र सीखता है या उनसे दीक्षा लेता है और साधना उपासना करता है तो उन्हें हमेशा गुप्त रखने के लिए ही कहा जाता है इनके कारण निम्न हैं .

1. शक्ति क्षीण न हो

chakra-kundali

अगर साधक के पास किसी भी मंत्र की शक्ति ना हो तो दूसरे को लाभ नहीं मिलेगा इसीलिए जब भी यह गुप्त मंत्र किसी गुरु के सानिध्य में प्राप्त करते हैं तो उन्हें गुप्त रखने के लिए कहा जाता है। कोई भी गुरु उन्हीं को मंत्र देता है जो साधक की आवश्यकता होती है|

ऐसे में अगर साधक के पास शक्ति नहीं रहेगी तो दूसरे को लाभ नहीं मिलेगा इसीलिए मंत्रों को गुप्त रखने की बात कही जाती है मन्त्रों को गुप्त रखने से शक्ति क्षीण नहीं होती है और जब कोइ साधक कहीं इनका प्रयोग करता है तो पूर्ण असर दिखाई देता है|

2. साधना प्रबल होती है

मंत्रों को गुप्त रखने से हमेशा स्मरण बना रहता है और साधना में प्रबलता आती  हैं अर्थात मंत्र साधना अधिक प्रबल  हो जाती हैं और व्यक्ति को स्मरण लगातार रहता है।

3. हर मंत्र की अलग शक्ति है

सभी मंत्रों की  शक्ति अलग-अलग होती है और हर व्यक्ति का मंत्र अलग होता है जिससे उसको फायदा मिलता है अगर वह छुपाया नहीं जाता है तो कोई फायदा नहीं मिलता है

4. गलत जप ना करें

किसी भी मंत्र को गुप्त रखना गलत तरीके से बचा जाता है मंत्र का गलत तरीके से जप करने से दूसरे व्यक्ति को नुकसान हो सकता है।

5. नियमों का पालन करना

सभी प्रकार के गुप्त मंत्र विधान और नियम का पालन करते हुए सिद्ध किए जाते हैं इसलिए साधक अगर किसी भी मंत्र में नियमों का उल्लंघन नहीं करता है तो सफलता मिलती है। हालांकि कोई मंत्र गुप्त नहीं रह पाता है क्योंकि जब इसे जोर-जोर से पढ़ा जाता तो लगभग सब लोग सुन लेते हैं।

6. साधना फलदाई होती है

अगर मंत्रों को गुप्त रखा जाता है तो किसी भी प्रकार की साधना के बाद हमेशा उसका फल अच्छा मिलता है इसीलिए हमेशा किसी भी प्रकार के गुप्त मंत्र को गुप्त ही रखा जाता है।

FAQ :

काली और सफेद जादू में क्या अंतर है ?

काला जादू नकारात्मक शक्तियों के लिए है जबकि सफेद जादू अच्छाई भलाई और सकारात्मक ऊर्जा के लिए है ।

सफेद जादू के लिए साधना कहां करें ?

सफेद जादू के लिए की जाने वाली साधना एकांत में घर पर या बाहर कहीं भी कर सकते हैं।

क्या राशि के अनुसार गुप्त मंत्र होते हैं ?

अगर कोई व्यक्ति गुप्त मंत्र साधना राशि के अनुसार करना चाहता है तो इसके लिए अलग-अलग राशियों के लिए अलग-अलग मंत्र हैं जैसे मिथुन राशि के लिए गुप्त मंत्र

ॐ दुं दुर्यायै नमः।

निष्कर्ष

दोस्तों अगर आप गुप्त मंत्र के बारे में जानना चाहते हैं तो यह जानना भी आवश्यक है कि हमारे धर्म शास्त्रों में  हजारों तरह की साधनों के लिए अलग-अलग मंत्रों का वर्णन किया गया है यह आप पर निर्भर करता है कि आप कौन सा गुप्त मंत्र सिद्ध करना चाहते हैं या आपको क्या आवश्यकता है.

उसी अनुसार आप मंत्रों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आपको पता होना चाहिए कि साधना और सिद्धि के मामले में बीज मंत्र और साबर मंत्र प्रमुख रूप से होते हैं इसमें से सभी मंत्र दैवीय शक्तियों और आसुरी शक्तियों से संबंधित है जो व्यक्ति शक्तियों को सिद्ध करना चाहता है.

वह दैवीय गुप्त मंत्रों के विषय में जानकारी करता है और जो आसुरी शक्तियों के विषय में सिद्ध करना चाहता है उसे आसुरी शक्तियों के बारे में जानना जरूरी है।हिंदू सनातन धर्म में 33 कोटि देवी देवता है वहीँ हजारों प्रकार की नकारात्मक शक्तियां भूत प्रेत डाकिनी शाकिनी चुड़ैल टोना टोटका काला जादू विद्यमान है इस संबंध में आपको उनके अलग-अलग गुप्त मंत्रों को पढ़ना होगा समझना होगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *