व्यक्तित्व क्या है ? लोगो के बारे में पूरी जानकारी What is Personality and type factors in Hindi

प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण Special properties या विशेषताएं होती हो जो दूसरे व्यक्ति में नहीं होतीं। अच्छाइयां और बुराइयां दोनों होती किसी में अच्छाइयां ज्यादा होती है तो किसी में बुराइयां evil ज्यादा होती है| जिसने अच्छाइयां ज्यादा होती हैं वह अच्छा आदमी Good man  कहा जाता है और जिस में बुराइयां ज्यादा होती हैं उसे बुरा आदमी Bad man कहा जाता है|

कुछ लोग सकारात्मक विचार positive thinking रखते हैं, वहीं कुछ लोग नकारात्मक negative thinking विचारधारा के होते हैं| इन्हीं गुणों एवं विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है। व्यक्ति के इन गुणों का समुच्चय ही व्यक्ति का व्यक्तित्व कहलाता है।

व्यक्तित्व एक स्थिर अवस्था न होकर एक गतिशील अवस्था है जिस पर चारों ओर का प्रभाव पड़ता है और इसी कारण से उसमें बदलाव आ जाता है।

यदि आप अपने व्यक्तित्व को निखारना चाहते है और एक बेहरतरीन पर्सनालिटी डेवलप (बनाना) चाहते है तो आप को इस लेख को पढ़ने के बाद  हमारा यह लेख अवश्य  ही पढना चाहिये जिस से आप भी उन रहस्यों को जान सके

What is Personality and type factors in Hindi vyaktitv kise kahte hai parsonlity kya hoti hai kisi ke bare me kaise jane

व्यक्ति के आचार-विचार, व्यवहार, क्रियाएं और गतिविधियों में व्यक्ति का व्यक्तित्व personality झलकता है। व्यक्ति का समस्त व्यवहार उसके वातावरण या परिवेश environment में समायोजन करने के लिए होता है।

‘व्यक्तित्व‘ अंग्रेजी के पर्सनेल्टी (Personality) का पर्याय है। पर्सनेल्टी शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के ‘पर्सोना‘शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है ‘मुखोटा (Mask)’। उस समय व्यक्तित्व का तात्पर्य बाह्य गुणों से लगाया जाता था। ! यह पोस्ट आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है ! यह धारणा व्यक्तित्व के पूर्ण अर्थ की व्याख्या नही करती।

व्यक्तित्व की कुछ आधुनिक परिभाषाएँ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार इस प्रकार हैं :

1 .  गिलफोर्ड : व्यक्तित्व गुणों का समन्वित रूप है। Personality is a coordinated form of qualities.”

2 . वुडवर्थ : व्यक्तित के व्यवहार की एक समग्र विशेषता ही व्यक्तित्व है। “Personality is an overall characteristic of a person’s behavior.

3 . मार्टन : “व्यक्तित्व व्यक्ति के जन्मजात तथा अर्जित स्वभाव, मूल प्रवृत्तियों, भावनाओं तथा इच्छाओं आदि का समुदाय है।”

“Personality is the community of a person’s innate and acquired nature, basic tendencies, feelings and desires, etc.”

4 . बिग एवं हंट :” व्यक्तित्व व्यवहार प्रवृत्तियों का एक समग्र रूप है, जो व्यक्तित के सामाजिक समायोजन में अभिव्यक्त होता है।”

“Personality is a composite form of behavioral tendencies, expressed in the social adjustment of the individual. “

5 . ऑलपोर्ट :” व्यक्तित्व का सम्बन्ध मनुष्य की उन शारीरिक तथा आन्तरिक वृत्तियों से है, जिनके आधार पर व्यक्ति अपने वातावरण के साथ समायोजन स्थापितकरता है।”

Personality is related to the physical and internal instincts of man, on the basis of which a person adjusts with his environment. “

व्यक्तित्व कितने प्रकार का होता है ? Types of personality

सामान्य तौर पर मानव व्यवहार को दृष्टिगत करते हुए व्यक्तित्व की निम्नलिखित श्रेणियां होती है।

बुद्धिमत्ता पूर्ण व्यक्तित्व,दयावान ममतामयी, व्यक्तित्व,सिद्धांतवादी व्यक्तित्व, कर्मयोगी व्यक्तित्व ,क्षमावादी व्यक्तित्व ,उदारतावादी व्यक्तित्व, धीर गंभीर व्यक्तित्व, शांत और सहनशील व्यक्तित्व, सुलझा हुआ व्यक्तित्व और व्यवहारवादी व्यक्तित्व ।

बुद्धिमत्तापूर्ण व्यक्तित्व  Intelligent personality

इस प्रकार के व्यक्ति मैं रूखापन होता है ।अपने आप को वैचारिक सिद्धांतों Conceptual principles के माध्यम से सिद्ध करते रहते हैं ।यह उलझे हुए व्यक्ति होते हैं इनको अपने विचार सबसे अधिक प्रिय होते हैं,यह व्यक्ति व्यवहारिक कम होते हैं बल्कि कल्पना वादी होते हैं पारिवारिक जीवन भी मुश्किल भरा हो सकता है।

दयावान और ममतामयी व्यक्तित्व Kind and affectionate personality

ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में सदैव संतुष्ट रहता है ।सभी परिस्थितियों conditionsको अपने अनुकूल मानता है, इस प्रकार के व्यक्तित्व वाला व्यक्ति पूर्ण रूप से प्राकृतिक का होता है ।अपने आसपास के लोगों के लिए मसीहा के रूप में रहता है, वह प्रत्येक व्यक्ति पर दया भाव और ममता बिखेरता तथा त्याग की भावना से यह काम करता है ।

ऐसे व्यक्ति दूसरों के दुखों को देखकर बहुत जल्दी पसीज जाते हैं ।उनका व्यक्तित्व द्रवित हो जाता है, अपने पराए में भेद नहीं रहता है ।जैसे मदर टेरेसा ने अपना समस्त जीवन दूसरों के लिए ही अर्पित किया।

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सिद्धांतवादी व्यक्तित्व Dogmatic personality

सिद्धांत वादी व्यक्तियों का समस्त जीवन सिद्धांतों पर आधारित होता है। जीवन की कठिनाइयां उनके लिए सिद्ध करते हैं कि कौन सा सिद्धांत वादी ठोस व्यक्तित्व वाला है और कौन सिद्धांत वादी लचीला है ।सिद्धांतवादी व्यक्ति Doctrinal person सिद्धांतों के लागू होने पर खुश रहते हैं।

ऐसे व्यक्ति सिद्धांतों के प्रति समर्पित होते हैं और दुनिया के सारे सिद्धांतों का समर्थन support करते हैं। जैसे हमारी आजादी की लड़ाई में बहुत से क्रांतिकारी इन्हीं सिद्धांतों का पालन करते हुए विपरीत परिस्थितियों को देखते हुए अपनी जान की बाजी लगाकर देश को आजाद कराने में सफलता दिलाई।

कर्मयोगी व्यक्तित्व Karma-yogi personality

कर्मवादी व्यक्ति अपने जीवन का संपूर्ण लक्ष्य कर्म में निहित करते हैं ।अपने कर्म के आधार पर अपने आप को सिद्ध करते हैं और महान बनते हैं ।यह कर्म को जीवन के लिए अनिवार्य मानते हैं,कर्म ही इन्हें ऊंचा उठाता है।अपने कर्मों के आधार पर ही यह जल्दी नाम कमा लेते हैं ।

इनका व्यक्तित्व सीमित नहीं रहता है और इतिहास में अमर हो जाते हैं। इनमें नेतृत्व leadership की क्षमता अपार होती है और इतिहास में युगपुरुष young manबन जाते हैं जैसे महात्मा गांधी।

क्षमावान उदारतावादी व्यक्तित्व Apologetic personality

इस प्रकार के व्यक्ति उदारवादी होते हैं।यह सही गलत हित-अहित जैसे विचारों के पचड़े में नहीं पड़ते, ये भावुकताSentimentality के शिकार होते हैं।ये बच्चे-बूढ़े स्त्री-पुरुष सभी के प्रिय होते हैं। क्षमावान, उदारवादी व्यक्ति जीवन की तैसी लापरवाह परंतु भाग्यशाली होते हैं |

धीर गंभीर व्यक्तित्व Cool serious personality

धीर गंभीर व्यक्तित्व वाले व्यक्ति प्रत्येक कार्य के प्रति गंभीर होते हैं ।सभी कामों में अपना दिल खोल कर नहीं रखते बल्कि अपने स्वभाव को छुपा कर रखते हैं।।ये व्यक्ति समाज के केवल खास वर्ग के लोगों में ही अपनी पहचान बना पाते हैं।

शांत और सहनशील व्यक्तित्व Calm and tolerant personality

यह व्यक्ति विषम से विषम परिस्थितियों में शांत रहते हैं । ! यह पोस्ट आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है ! कठिनाइयों में सहनशील बनते हैं हर बात को आप साफ करने हैं और किसी बात को लेकर ना तो दुखी होते ना गुस्सा करते ना जोर से हंसते और ना बदले की भावना रखते और दूसरे से भी अपेक्षा रखते हैं कि रिशांत सहनशील बने रहेंगे अपनी बुराइयों को समझते ही हर समस्या को सुनियोजित रास्ते से अपनाते हैं समय और अनुशासन का पूरा ख्याल रखते हैं।

व्यवहारवादी व्यक्तित्व Behaviorist personality

इस प्रकार की कोई निश्चित जीवन शैली नहीं अपनाते हैं । बहुत ज्यादा सिद्धांतो का पालन नहीं करते प्रत्यक्ष व्यवहार को महत्व देते है। किसी पर निर्भर की नहीं होते और हर व्यक्ति पर विश्वास करते हैं।जरूरत पर अपना स्वार्थ सिद्ध कर लेते हैं ।अपमानित होने पर भी यह खुश रहते हैं, परंतु अपना स्वार्थ सिद्ध कर लेते हैं।

मनोविज्ञान के आधार पर व्यक्तित्व कितने प्रकार का होता है ?

  1. अंतर्मुखी व्यक्तित्व Introverted personality
  2. बहिर्मुखी व्यक्तित्व  Extroverted personality 
  3. उभयोमुखी व्यक्तित्व Bisexual personality

अंतर्मुखी व्यक्तित्व Introverted personality

इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले व्यक्ति अपनी आप ही व्यक्ति को पूर्ण रूप से व्यक्त करने में सक्षम नहीं होते। यह लोग बहुत कम बोलते हैं ।अपने विचार अपने तक रखते हैं, ज्यादा किसी से मिलना जुलना थी पसंद नहीं करते हैं।

बहिर्मुखी व्यक्तित्व Extroverted personality

इस प्रकार के व्यक्ति बोलते बहुत हैं बिना सोचे समझे जो मन में आता है सबके सामने व्यक्त कर देते हैं बहिर्मुखी व्यक्तित्व के आदमी घूमना फिरना नए दोस्त बनाना लोगों से मिलना बहुत पसंद करते हैं।

उभयोमुखी व्यक्तित्व Bisexual personality

कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनमें अंतर्मुखी और बहिर्मुखी दोनों प्रकार का व्यक्तित्व पाया जाता है। इस प्रकार के व्यक्तियों और उनके दृष्टिकोण में भी अंतर पाया जाता है।

 

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व्यक्तित्व का निर्धारण कैसे होता है ? How is personality determined?

व्यक्तित्व का निर्धारण व्यक्ति को प्रभावित करने वाले कुछ विशेष तत्वों के कारण होता है जिनमें से कुछ विद्वानों के अनुसार व्यक्तित्व के दो प्रकार बताए गए हैं।

1. जैविक कारण | biological  factor 

व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्धारण करने में जैविक  कारण भी होते हैं जिसके अंतर्गत निम्न कारक उत्तरदायी होते हैं।

a)आनुवंशिक Genetic

b)शरीर में पायी जाने वाली स्रावी ग्रंथियां Secretory glands found in the body

c)स्वा स्थ्य Health

a) आनुवंशिक | Genetic

व्यक्ति के बहुत से लक्षण अनुवांशिक होते हैं जो माता-पिता द्वारा गुरु सूत्रों के माध्यम से संतान को प्राप्त होते हैं जैसे शरीर का रंग,रूप, बनावट आदि । इसके अलावा कुछ उनके नाना नानी और दादा-दादी से भी प्राप्त होते हैं।इस आधार पर व्यक्ति का व्यक्तित्व अपने पूर्वजों के अनुरूप भी होता है अपने पूर्वजों की क्षमताएं उनमें विकसित होती हैं।! यह पोस्ट आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है !

b) शरीर में पायी जाने वाली स्रावी ग्रंथियां | Secretory glands found in the body

मनुष्य के शरीर में बहुत सी अंतः स्रावी ग्रंथियां पाई जाती है जिनमें से विशेष प्रकार के हार्मोन hormone स्रावित होते रहते हैं यह हार्मोन व्यक्ति के व्यक्तित्व personality पर काफी असर डालते हैं यदि कोई व्यक्ति बौना या लंबा होता है तो उसका कारण ग्रंथियों से स्रावित होने वाले हार्मोन होते हैं।

c) स्वास्थ्य | Health

व्यक्ति के व्यक्तित्व में उसकी बनावट चेहरे का रंग रूप आंखों व अन्य अंगों की विशेषता अन्य व्यक्ति को प्रभावित करती है।शारीरिक गठन व्यक्ति को स्वयं प्रभावित करती है जिससे उसके अंदर आत्मविश्वास और स्वावलंबन Confidence and independence का भाव पैदा होता है।

इसके अलावा यह शारीरिक गठन ठीक नहीं है या किसी प्रकार के अंगहीनता disability है तो उस व्यक्ति ने हीनभावना Inferiority complex पैदा होती है जिसके कारण वहा असामाजिक व्यवहार भी कर सकता है।

जो व्यक्ति शारीरिक स्वास्थ्य से अच्छे हैं, उनका समाज पर भी काफी प्रभाव पड़ता है ।स्वस्थ व्यक्ति किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त कर सकता है बजाय अस्वस्थ व्यक्ति दूसरों को प्रभावित नहीं कर सकता।

2. रासायनिक कारक  Chemical factor

व्यक्ति के शरीर में अनेकों प्रकार के रासायनिक तत्व जैसे रक्त,पित्त कफ या प्लीहा द्रव्य होते हैं किसी भी व्यक्ति में रक्त की अधिकता होने पर वह आशावादी और उत्साही होता है, जबकि पित्त अधिक होने पर वह चिड़चिड़ा हो जाता है।

जिस व्यक्ति में कप या श्लेष्म अधिक होता है वे शांत और आलसी होते हैं ।व्यक्ति में प्लीहा द्रव्य की प्रधानता होती है तो वे उदास अधिक होते हैं।

3. पर्यावरणीय कारक   Environmental factor 

व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावित करने में पर्यावरणीय कारक भी सहायक होते हैं पर्यावरणीय कारकों में प्रमुख कारक निम्न है:

a) प्राकृतिक कारक  Natural factor 

b) सामाजिक कारक social factor

c) सांस्कृतिक कारक  cultural factor

a) प्राकृतिक कारक Natural factor

धरती पर भौगोलिक परिस्थितियां हर जगह अलग-अलग हैं । भौगोलिक क्षेत्र में कहीं सर्दी अधिक है तो कहीं गर्मी । इसलिए वहां पर रहने वाले लोगों पर पर्यावरण का सीधा प्रभाव पड़ता है जैसे अधिक ठंडी वाले क्षेत्र में रहने वाले लोगों के शरीर का रंग गोरा होता है, जबकि गर्म जलवायु में रहने वाले लोग सांवले रंग के होते हैं ।

यदि लोगों के पर्यावरण क्षेत्र बदल दिए जाएं तो उनके व्यक्तित्व में परिवर्तन आ जाता है ,जैसे ठंडे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को गर्म क्षेत्र में रख दिया जाए तो काम करने की क्षमता घट जाती है।

b) सामाजिक कारक  social factor 

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह जीवन पर्यंत समाज में रहता है जिस पर समाज का और सामाजिक किया कलापो का प्रभाव पड़ता है।घर परिवार से लेकर समाज के लोगों तक का का असर व्यक्ति पर पड़ता है।

जिस प्रकार का समाज होता है वहां के लोग उसी अनुरूप कार्य एवं व्यवहार करते हैं । सामाजिक कार्य में माता पिता,घर के अन्य सदस्य, विद्यालय,साथ पढ़ने वाले विद्यार्थी, शिक्षक तथा विद्यालय की भौगोलिक स्थिति उनके विकास व व्यक्तित्व में प्रभाव डालते है।

c) सांस्कृतिक कारक  cultural factor 

व्यक्ति के विकास में संस्कृति का प्रभाव अहम भूमिका निभाता है क्योंकि जब बच्चे का जन्म होता है तब से वह समाज और उनके सांस्कृतिक परंपराओं के अनुरूप ढलता है।

उसकी संस्कृति ही उसे सुरक्षित भी रखती है। संस्कृति और व्यक्तित्व एक दूसरे के पूरक हैं। प्रत्येक संस्कृति में व्यक्ति का सामाजीकरण एक विधि विधान से होता है।