सूर्य मंत्र : सूर्य मंत्र जाप विधि आरती फायदे और सूर्य मंत्र PDF | सूर्य मंत्र – सूर्यदेव मंत्र : Surya mantra

सूर्य मंत्र Surya mantra : हेलो दोस्तों नमस्कार स्वागत है आपका हमारी आज की इस न्यू पोस्ट में दोस्तों आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से सूर्य मंत्र के बारे में बताने वाले हैं हमारे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान सूर्य को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है सूर्य भगवान एक ऐसे देवता हैं जो नियमित रूप से अपने भक्तों को दर्शन देते रहते हैं.

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रविवार के दिन इनकी पूजा और आराधना विशेष रूप से की जाती है अगर आप भगवान सूर्य को प्रसन्न करना चाहते हैं तो मात्र एक लोटा जल से आप उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं अगर कोई भी व्यक्ति नियमित रूप से सूर्य देव को अर्घ्य देता है तो उसकी कई परेशानियों से उसे छुटकारा मिल जाता है साथ ही इस उपाय से मान सम्मान में भी वृद्धि होती है नौकरी में तरक्की और अनेक सफलता के द्वार खुल जाते हैं.

इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से सूर्य मंत्र के बारे में बताने वाले हैं इसके साथ सूर्य भगवान के जितने भी मंत्र हैं उन सभी के बारे में बताएंगे इनकी पूजा कैसे करनी है इनकी पूजा करने के फायदे क्या हैं इन सभी के बारे में विस्तार से बताएंगे अगर आप इन विषयों को विस्तार से जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें ताकि आप लोगों को इसकी संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।

सूर्य मंत्र | Surya mantra

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।
ॐ सूर्याय नम: ।
ॐ घृणि सूर्याय नम: ।

इस मंत्र का जाप आपको दिन में 1 बार करना है वो भी सूर्योदय के समय 3 , 7, 9, 108, या फिर 1008 बार करे इस मंत्र का रोजाना जाप करने से मनुष्य को जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलने और उसके सुख-सौभाग्य में वृद्धि मिलती है.

सूर्य मंत्र का जाप कैसे करें | Surya mantra ka jaap kaise kare ?

Sun

  1. अगर कोई व्यक्ति सूर्योदय के तुरंत आधे सूर्य मंत्र का जाप करता है तो उस जाप से उस व्यक्ति के मन को नकारात्मक और विकर्षणों से मुक्ति मिल जाती है जो भी व्यक्ति सूर्य मंत्र का उच्चारण करता है उसे एक बात का ध्यान रखना है कि वह सकारात्मकता को अवशोषित करें उच्चारण करते समय आप अपने मन को शांत रखें पूरे मंत्र का जाप करते समय आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जो कि आज हम आप लोगों को बताने वाले हैं।
  2. रविवार के दिन आप किसी भी सूर्य मंत्र का जाप करना आवश्यक माना जाता है इस मंत्र का जाप आपको रविवार के दिन से शुरू करना है।
  3. रविवार के दिन से ही प्रार्थना और ध्यान शुरू हो जाता है लेकिन अगले दिन आपको उठकर स्नान के बाद एक नए मन से सूर्योदय होता है इसीलिए साथ ही आपको पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए।
  4. भगवान सूर्य को सुबह अर्घ्य देने के बाद उनकी पूजा करना है पूजा करने के लिए आपको यह सुनिश्चित कर लेना है कि उन्हें ताजे फूल और अगरबत्ती का उपयोग जाप या फिर ध्यान करते समय आपको करना है इसके दौरान आप प्रार्थना और सस्वर पाठ भी शामिल कर सकते हैं।
  5. जिस समय भी आप सूर्य मंत्र का जाप कर रहे हैं उस समय आपको पानी का एक बर्तन लेना है और कुमकुम रखना है और उसी में 1 प्लस पॉइंट जोड़ देना है।
  6. आपको यह सुनिश्चित कर लेना है कि आपका मन नकारात्मक और बीमार विचारों से मुक्त हो जाएगा ।
  7. उसके साथ आपको जिस समय सूर्य मंत्र का जाप करना है उस समय आपको अपने मन में या फिर ह्रदय में किसी भी प्रकार का किसी के प्रति ईर्ष्या और क्रोध नहीं रखना है आपको अपने हृदय में सकारात्मक ऊर्जा को डालना है।
  8. सूर्य भगवान को अर्घ देने का और सूर्य मंत्र का जाप करने का सबसे अच्छा समय सूर्योदय समय है।
  9. सूर्य मंत्र का जाप आपको 1 दिन में कम से कम 3,7,9 , 108 या फिर 1008 बार करना है।
  10. सूर्य मंत्र का जाप स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं।
  11. सूर्य मंत्र का जाप आपको पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना है।

सूर्य मंत्र के जाप के फायदे | Surya mantra ke jaap ke fayde

  1. अगर नियमित रूप से सूर्य मंत्र का जाप किया जाए तो भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है।
  2. अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन की सभी बाधाओं को दूर करना चाहता है तो उसके लिए उस व्यक्ति को सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए।
  3. अगर आप अपनी सहनशक्ति को बढ़ाना चाहते हैं तो भी आप सूर्य मंत्र का जाप कर सकते हैं आपको आध्यात्मिकता और बेहतरीन रास्ता खोजना है तो आपको सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए।
  4. इस मंत्र के जाप से आपका दिमाग सकारात्मक हो जाता है और आपको समृद्धि विचार के सागर मिलते हैं आपके पास जो भी जीवन है उसके लिए कृतज्ञता महसूस करेंगे।

सूर्य मंत्र PDF | Surya mantra PDF 

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सूर्य प्रार्थना मंत्र | Surya prarthana mantra

 

जिस समय आप सूर्य भगवान की प्रार्थना कर रहे होते हैं उस समय आपको इस मंत्र का जाप करना है।

ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:।
विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।

सूर्य मंत्र | Surya Mantra

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
ॐ सूर्याय नम:।
ॐ घृणि सूर्याय नम:।
ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।

सूर्य स्तोत्र | Surya Stotram

Sun

विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥

लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥

गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥

श्री सूर्य चालीसा | Shree Surya Chalisa

दोहा

कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माला अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग।।

चौपाई

जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर।

भानु, पतंग, मरीची, भास्कर, सविता, हंस, सुनूर, विभाकर।

विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, हरिरूप, विरोचन।

अम्बरमणि, खग, रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते।

सहस्रांशु, प्रद्योतन, कहि कहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि।

अरुण सदृश सारथी मनोहर, हांकत हय साता चढ़ि रथ पर।

मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी।

उच्चैश्रवा सदृश हय जोते, देखि पुरन्दर लज्जित होते।

मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता,

सूर्य, अर्क, खग, कलिहर, पूषा, रवि,

आदित्य, नाम लै, हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै।

द्वादस नाम प्रेम सो गावैं, मस्तक बारह बार नवावै।

चार पदारथ सो जन पावै, दुख दारिद्र अघ पुंज नसावै।

नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर कौ कृपासार यह।

सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई।
बारह नाम उच्चारन करते, सहस जनम के पातक टरते।

उपाख्यान जो करते तवजन, रिपु सों जमलहते सोतेहि छन।
छन सुत जुत परिवार बढ़तु है, प्रबलमोह को फंद कटतु है।

अर्क शीश को रक्षा करते, रवि ललाट पर नित्य बिहरते।

सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत, कर्ण देश पर दिनकर छाजत।

भानु नासिका वास करहु नित, भास्कर करत सदा मुख कौ हित।

ओठ रहैं पर्जन्य हमारे, रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे।

कंठ सुवर्ण रेत की शोभा, तिग्मतेजसः कांधे लोभा।

पूषा बाहु मित्र पीठहिं पर, त्वष्टा-वरुण रहम सुउष्णकर।

युगल हाथ पर रक्षा कारन, भानुमान उरसर्मं सुउदरचन।

बसत नाभि आदित्य मनोहर, कटि मंह हंस, रहत मन मुदभर।

जंघा गोपति, सविता बासा, गुप्त दिवाकर करत हुलासा।

विवस्वान पद की रखवारी, बाहर बसते नित तम हारी।

सहस्रांशु, सर्वांग सम्हारै, रक्षा कवच विचित्र विचारे।

अस जोजजन अपने न माहीं, भय जग बीज करहुं तेहि नाहीं।

दरिद्र कुष्ट तेहिं कबहुं न व्यापै, जोजन याको मन मंह जापै।

अंधकार जग का जो हरता, नव प्रकाश से आनन्द भरता।

ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही, कोटि बार मैं प्रनवौं ताही।

मन्द सदृश सुतजग में जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके।

धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा।

भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों, दूर हटत सो भव के भ्रम सों।

परम धन्य सो नर तनधारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी।

अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन, मध वेदांगनाम रवि उदय।

भानु उदय वैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै।

यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता।

अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं।

दोहा

भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहै विविध, होंहि सदा कृतकृत्य।।

सूर्याष्टकम | Suryashtakam

Sun

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते
सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
बन्धुकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजः प्रदीपनम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

सूर्य कवच | Surya kavach

श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।
शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।।
देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।
ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत्।।
शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।
नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर:।।
ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।
जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित:।।
सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।
दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय:।।
सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।
सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति।।

अगर आप अपनी मनोकामना को पूर्ण करना चाहते हैं तो भगवान सूर्य के इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।

ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य: ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।
ॐ सूर्याय नम: ।
ॐ घृणि सूर्याय नम: ।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।

सूर्य मंत्र स्तुति | Surya mantra Stuti

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।
त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा।।
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान-मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

सूर्य मंत्र 108 बार जाप | Surya Mantra 108 baar jaap

अगर आप लोग अपनी मनोकामना को पूर्ण करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए सूर्य भगवान के इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए इसके लिए आपको रविवार के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निश्चिंत होने के बाद सूर्य भगवान को जल अर्पित करें अगर किसी व्यक्ति का सूर्य बलवान होता है तो उसके जीवन में परेशानियों के लिए घर नहीं होता है.

लेकिन हमारे हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कहा गया है कि प्रतिदिन सूर्य भगवान की पूजा और सूर्य मंत्र का 108 बार जाप करने से मनुष्य को अधिक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं इसीलिए सूर्य भगवान का विशेष दिन रविवार होता है सूर्य भगवान की पूजा अर्चना उनका मंत्र जाप रविवार के दिन करना चाहिए अगर आप इस प्रकार करते हैं.

Sun

तो आपकी सभी मनोकामनाएं सूर्य भगवान पूरी कर देते हैं इसीलिए आज हमने आप लोगों को सूर्य भगवान के कुछ ऐसे मंत्र बताए हैं जिनका आपको रविवार के दिन 108 बार जाप करना है इन मंत्रों से आप अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं।

1. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
5. ऊं घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:।

अगर आप इन मंत्रों का पूरे विधि विधान पूर्वक और सच्चे मन से उच्चारण करते हैं तो आपको इसका फल अवश्य प्राप्त होता है।

सूर्य मंत्र जल चढ़ाते समय | Surya Mantra jal chadate samay

अगर आप सूर्य भगवान को जल अर्पित करना चाहते हैं तो आपको उस समय एक ऐसे मंत्र का जाप करना चाहिए जिससे सूर्य भगवान प्रसन्न हो जाए सूर्य भगवान को जल देते समय आपको पूर्व दिशा की ओर मुख करके इन मंत्र का ”ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः” जाप करना चाहिए.

उस जल में आपको रोली या फिर लाल चंदन का प्रयोग करना है उसके अलावा आप उस जल में लाल रंग के फूल भी डाल सकते हैं तभी आप भगवान सूर्य को वह जल अर्पित करें तो शुभ माना जाता है।

सूर्य मंत्र के अन्य लाभ | Surya mantra ke any labh

1. ॐ हृां मित्राय नम:

अगर आप अपने कार्य की क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं अपनी सेहत को अच्छा बनाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए सूर्य भगवान के इस मंत्र का जाप करना चाहिए और उन्हें सूर्य उदय के समय अर्घ देना चाहिए।

2. ॐ हृीं रवये नम:

अगर आपके शरीर का संचालन सही तरह से नहीं हो रहा है और आप उसे सही करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए सूर्यदेव के सामने खड़े होकर इस मंत्र का जाप करना है इस मंत्र से आपके सभी रोग दूर हो जाते हैं।

3. ॐ हूं सूर्याय नम:

अगर आप सूर्य भगवान के इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपको मानसिक शांति मिलती है और आपकी बुद्धि में भी वृद्धि होता है।

4. ॐ ह्रां भानवे नम:

अगर आपके शरीर में मूत्राशय से संबंधित कोई समस्या है तो आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

5. ॐ हृों खगाय नम:

अगर आपके शरीर में मलाशय से संबंधित कोई भी समस्या होती है तो आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए इससे बुद्धि का विकास होता है और आपके शरीर में बल भी बढ़ता है।

6. ॐ हृ: पूषणे नम:

अगर आप अपना बल और धैर्य बढ़ाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए सूर्य भगवान के इस मंत्र का जाप करना चाहिए इस मंत्र के जाप से मनुष्य का मन धार्मिक कार्यों में लग जाता है।

7. ॐ ह्रां हिरण्यगर्भाय नमः

सूर्य भगवान के इस मंत्र से शारीरिक मानसिक बौद्धिक शक्तियों का विकास होता है।

8. ॐ मरीचये नमः

सूर्य भगवान के इस मंत्र जाप से मनुष्य का स्वास्थ्य सही रहता है और मनुष्य के शरीर में कोई भी रोग उत्पन्न नहीं होता है।

9. ॐ आदित्याय नम :

सूर्य भगवान के इस मंत्र जाप से मनुष्य की बुद्धि तीव्र हो जाती है और आर्थिक समस्याओं से भी वह दूर रहता है।

10. ॐ सवित्रे नमः

सूर्य भगवान के इस मंत्र जाप से मनुष्य की कल्पना शक्ति बढ़ती है और मनुष्य का मान-सम्मान भी बढ़ जाता है सूर्य भगवान की कृपा भी प्राप्त होती है।

11. ॐ अर्काय नमः

अगर आपके जीवन में कई सारी समस्याएं उत्पन्न होती हैं तो आपको सूर्य भगवान के इस मंत्र का जाप करना चाहिए कि इस मंत्र के जाप से मन दृढ़ हो जाता है।

12. ॐ भास्कराय नमः

अगर आप सूर्य देव की कृपा को प्राप्त करना चाहते हैं और अपने शरीर की बाहरी सुरक्षा चाहते हैं तो आपको प्रतिदिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए इस मंत्र के जाप से आपको सुख समृद्धि और अच्छी सेहत का वरदान भी प्राप्त होता है।

सूर्यदेव की आरती | Surya Dev ki aarti

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

FAQ : सूर्य मंत्र

सूर्य मंत्र कैसे बोला जाता है?

सूर्य मंत्र जैसे ऊँ सूर्याय नम: ऊँ खगाय नम:, ऊँ भास्कराय नम:, ऊँ रवये नम:, ऊँ भानवे नम:, ऊँ आदित्याय नम: अगर आप इन मंत्रों का जाप करते हैं तो इन मंत्र के जाप से आपको शक्ति बुद्धि स्वास्थ्य और सम्मान की प्राप्ति होती है इसके साथ-साथ आपको सूर्य मंत्र स्तुति का भी पाठ करना चाहिए।  

सूर्य के कितने मंत्र हैं?

अगर कोई व्यक्ति अपने माता-पिता का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता है तो उस व्यक्ति को सूर्य भगवान के इन 12 मंत्रों का जाप करना चाहिए क्योंकि इन मंत्रों से मनचाहा आशीर्वाद प्राप्त होता है।

सूर्य मंत्र कितनी बार बोलना चाहिए?

अगर आप सूर्य मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो आपको पहले सूर्य भगवान को अर्घ देना है उसके पश्चात मन शांत करके और मन को एकाग्र करके 108 बार इस मंत्र का जाप करना है।आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर, दिवाकर नमस्तुभ्यं, प्रभाकर नमोस्तुते।

निष्कर्ष

जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के जरिए सूर्य मंत्र के बारे में बताया अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको सूर्य मंत्र के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त हो गई होगी सूर्य मंत्र का जाप कैसे करना है उसके फायदे क्या है और सूर्य भगवान के अन्य कौन-कौन से मंत्र हैं उनके बारे में भी विस्तार से जानकारी दी है उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।