बहू के अधिकार : हर शादीशुदा लड़की जाने अपने क़ानूनी हक़ | Bahu ke adhikar

बहू के अधिकार bahu ke adhikar : हेलो मेरी प्यारी बहनों आज मैं आप लोगों के लिए एक बहुत ही खास टॉपिक लेकर आई हूं जिसमें मैं आप लोगों को परिचित कराऊंगी बहू के कौन-कौन से अधिकार होते हैं क्योंकि जब आप अपने अधिकार से परिचित नहीं होंगी तो समय आने पर आप अपने अधिकारों के प्रति नहीं लड़ पाएगी.

बहू के अधिकार

इसीलिए एक बहू और बेटी दोनों को चाहिए कि वह अपने अधिकारों से पूर्ण रूप से परिचित रहे क्योंकि जब से दहेज प्रथा का प्रचलन चला है तब से बहुओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है और जो बहू अच्छे खासे धन दहेज के साथ ससुराल जाती है तो उसका मान सम्मान किया जाता है और जो बहू जरा सा भी धन दौलत कम लेकर जाती है तो उसे ससुराल में तमाम तरह के कष्ट और मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.

यहां तक कि कई बार ऐसी परिस्थिति आ जाती है कि बहू को मौत के घाट उतार दिया जाता है और यह सब तभी होता है जब एक बहू अपने अधिकारों से वंचित रहती है. इसीलिए बदलते समय के साथ कानून ने भी अपने कायदे कानून में कुछ परिवर्तन किए हैं. जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक मुद्दे पर साफ स्पष्ट किया गया है कि बहू को बेटी से बढ़कर अधिकार प्राप्त हैं.

इसलिए आज हम आप लोगों को इस लेख में हाई कोर्ट द्वारा बहू को कौन-कौन से अधिकारो को मान्यता प्राप्त हैं इनके विषय में विस्तार पूर्वक से बताएंगे अगर आप लोग उन अधिकार के विषय में जानना चाहती हैं तो इस लेख को शुरू से अंत तक अवश्य पढ़ें

बहू के अधिकार | Bahu ke adhikar

लिंग के आधार पर अधिकारों में भेदभाव समानता के सिद्धांत के खिलाफ हैं। स्पष्ट नियम-कानूनों के बावजूद महिलाओं के साथ भेदभाव समाज की कड़वी हकीकत है। इसकी एक बड़ी वजह अधिकारों को लेकर जागरुकता का अभाव है। इसलिए हम यहां पर बहू के कौन-कौन से अधिकार होते हैं ?

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इसके विषय में एक क्रम से बताएंगे ऐसे में अगर आप अपने अधिकार के प्रति जागरूक होना चाहती हैं, तो इस लेख को शुरू से अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ें और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बने. सुप्रीम कोर्ट द्वारा बहू को निम्न प्रकार के अधिकार प्राप्त है जैसे :

1. स्त्रीधन पर अधिकार

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार जबएक लड़की की गोद भराई और पूरे रीति-रिवाजों के साथ विवाह होता है तो उस विवाह समारोह में वह लड़की जो कुछ भी पाती है जैसे जेवर, गिफ्ट, साड़ियां,वगैरा यह सब स्त्रीधन के अंतर्गत आता है और इस पर सिर्फ और सिर्फ उसी लड़की का अधिकार होता है.

अगर शादी के बाद बहू के जेवर सास के पास रखे हैं बाई चांस बहू की मृत्यु किसी वजह से हो गई तो उस पर सिर्फ और सिर्फ उस लड़की का अधिकार रहता है ना की सास और उनके बेटे का और उन जेवर को बहू जब चाहे तब अपने किसी काम के लिए उपयोग में ले सकती है.

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अगर किसी महिला को उसके स्त्रीधन से वंचित किया जाता है तो इसके लिए ससुराल वालों को कानूनी तौर से अपराध का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि एक स्त्री को उसके स्त्री धन से वंचित रखना या फिर उसके धन के साथ किसी भी प्रकार की छेड़खानी करना परिवारिक हिंसा कार्य के अंतर्गत आता है.

2. घर के बंटवारे में अधिकार

जब कोई कन्या हिंदू धर्म में पूरे रीति-रिवाज के साथ विवाह करके अपने पति के साथ जाती है और वह अपने पति के साथ में जिस घर में रहती है तो उसे ससुराल का घर कहा जाता है चाहे वह घर किराए पर लिया गया हो या फिर अपनी कमाई से बनवाया गया हो. उस घर में बहू को रहने का पूरा अधिकार होता है यानी कि वह बहू के लिए ससुराल वाला घर मैट्रिमोनियल होम है।

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जिसके तहत 1956 में हिंदू धनतक भरण पोषण कानून के अनुसार महिला को अपने मैट्रिमोनियल होम में रहने का पूरा अधिकार है कहने का सीधा तात्पर्य है अगर ससुराल में एक घर बना है और दो बहू हैं तो उस घर में दोनों बहुओं को बराबर बराबर हिस्सा मिलेगा इसके अलावा अगर लड़की का पति अपनी कमाई से अलग घर बनवाता है तो उस पर भी लड़की का पूर्ण अधिकार होता है

3. गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार

एक बहू को सीआरपी 125 के तहत अपने तथा अपने बच्चों के लिए ससुराल वालों से गुजर भत्ता मांगने का पूरा अधिकार प्राप्त है लेकिन यह अधिकार एक बहू को तभी मिलता है जब वह किसी दूसरी जगह पर अपनी शादी ना करें, कहने का सीधा तात्पर्य है अगर एक विवाहित कन्या किसी कारण से अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती है, तो इसके लिए पति को पत्नी के रहने खाने-पीने और कपड़े आदि तक का भरण पोषण करना पड़ेगा.

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अगर उसके पास बच्चे भी हैं तो उनकी पढ़ाई लिखाई और अन्य जिम्मेदारियों का खर्चा भी पति के साथ साथ ससुराल वालों को भी देना पड़ेगा. इसके अलावा अगर पत्नी का तलाक हो जाता है और वह अपने ससुराल के बजाय अपने मायके में रहती है और दूसरी जगह अपनी शादी नहीं करती है और वह अपनी जीविका चलाने में असमर्थ है, तो वह अपने ससुराल वालों से और अपने पति से अपनी गुजारा भत्ता के लिए मांग कर सकती है.

4. बहू पर हों रहें घरेलू हिंसा पर कार्यवाही करने का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अगर बहू को किसी कारण से घरेलू हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है तो इसके लिए बहू अपने ससुराल वालों के प्रति कार्यवाही कर सकती हैं क्योंकि अक्सर करके एक बहू को दहेज ना लाने की वजह से घरेलू हिंसा का शिकार बनाया जाता है.

इसीलिए अगर किसी भी लड़की के साथ दहेज या फिर अन्य कोई घरेलू हिंसा हो रही है तो वह तुरंत ही अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होकर उच्च न्यायालय में अपने अधिकारों को पाने के लिए गुहार कर सकती है.

5. मान सम्मान से जीने का अधिकार

बहू को मान सम्मान और गरिमा के साथ जीने का अधिकार है जिस तरह से उसका पति अपने मुताबिक लाइफस्टाइल जीता है उसी तरह से बहू भी अपने मुताबिक अपनी लाइफ स्टाइल इंजॉय कर सकती है कहने का सीधा तात्पर्य है एक बहू ससुराल में भी मानसिक और शारीरिक यातनाओ से मुक्त है.

वह जिस तरह से चाहे उस तरह से अपने ससुराल में रह सकती है अगर उसके साथ में उसके शारीरिक और मानसिक यातनाओं के साथ छेड़खानी की जाती है तो यह कार्य घरेलू हिंसा के अंतर्गत आता है इसीलिए ऐसे में वह अपने ससुराल वालों के प्रति कार्यवाही का कदम उठा सकती हैं.

6. सास ससुर के घर में बहू का अधिकार

अगर किसी विवाहित लड़की का पति अपनी कमाई से एक निजी घर बनाता है तो उस पर उस लड़की का पूर्ण रूप से अधिकार होता ही है लेकिन इसके अलावा उस बहू का अपनी पैतृक और साझा संपत्ति पर अधिकार प्राप्त होता है लेकिन जब बहू बुजुर्ग सास ससुर को पीड़ित करती है तो ऐसे में सास ससुर बहू को घर से निकाल सकते हैं. क्योंकि सास ससुर को सुकून से जीने का अधिकार प्राप्त है.

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इसीलिए अगर बहू अपने सास ससुर को खाना नहीं देती है उनके साथ दुर्व्यवहार करती है तो ऐसी परिस्थितियों में सास ससुर बहू को घर खाली करने का समय दे सकते हैं और उन्हें अपने घर से बेदखल कर सकते हैं. इसके विपरीत अगर एक बहू अपने सास-ससुर के साथ सुख शांति और अच्छे व्यवहार के साथ रहती है तो उसे अपने सास ससुर के घर में भी रहने का अधिकार है

7. बहू को बेटी से बढ़कर अधिकार

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उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट के अनुसार बहु को बेटी से बढ़कर अधिकार प्राप्त है. जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वितरण के विनियमन और नियंत्रण आदेश 2016 में साफ कहा है कि बहू को ससुराल के परिवार के हिस्से में ना रखे जाने की वजह से उसे उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है और इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 2019 में यह फैसला सुनाया है की बहू को बेटी से भी बढ़कर अधिकार प्राप्त है.

8. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम अधिकार

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत अगर किसी स्त्री का पति अपनी प्रॉपर्टी अपने बेटे के नाम पर किए बिना ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है तो ऐसी स्थिति में उस प्रॉपर्टी पर पत्नी का अधिकार होगा और जब पत्नी की मृत्यु हो जाएगी तो उस पर उसके द्वारा पैदा किए गए बच्चों पर उस प्रॉपर्टी का अधिकार होगा

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में यह भी फैसला किया गया है अगर कोई स्त्री दूसरी जगह अपनी शादी कर लेती है और उसे पहले से ही बच्चे हैं तो उन बच्चों को दोनों जगह पर संपत्ति प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त है हिंदू उत्तराधिकार नियम सभी हिंदू बौद्ध जैन सिख लोगों पर लागू होता है इसके अलावा हिंदू मुस्लिम और ईसाइयों पर हिंदू उत्तराधिकार नियम नहीं लागू है क्योंकि उन लोगों के अपने कुछ कानून है.

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इसके अलावा हिंदू उत्तराधिकार 2005 में यह भी कहा गया है बेटी को अपने मां बाप की संपत्ति पर भी हक है जिस तरह से उनके भाई प्रॉपर्टी के हिस्सेदार होते हैं उसी तरह से बेटियां भी अपने मां बाप की प्रॉपर्टी में हिस्सा ले सकती हैं यह अधिकार पहले बेटियों को कुमारी रहने तक प्राप्त था लेकिन अब शादी के बाद भी एक बेटी अपने मां-बाप की संपत्ति पर पूर्ण रूप से हक प्राप्त कर सकती है.

FAQ :

क्या बेटी शादी के बाद अपने माता पिता की संपत्ति पर अधिकार पा सकती है ?

2005 में संशोधन के द्वारा यह फैसला किया गया कि एक विवाहित बेटी को अपने माता पिता की संपत्ति पर पूर्ण रूप से अधिकार प्राप्त है लेकिन उसके लिए बेटी के पिता मां बाप का जिंदा होना आवश्यक है तभी बेटी को संपत्ति पर अधिकार प्राप्त होगा

पत्नी के क्या क्या अधिकार है ?

पत्नी को अपने पति के द्वारा अर्जित की गई संपत्ति पर पूरा अधिकार होता है इसके अलावा उसे पैतृक संपत्ति में हिस्सा लेने का भी पूर्ण अधिकार है

ससुराल वाले बहू को परेशान करे तो क्या करना चाहिए ?

अगर ससुराल वाले बहू को किसी भी प्रकार से घरेलू हिंसा का शिकार बना रहे हैं तो ऐसी परिस्थितियों में बहू अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होकर कानून से उन अधिकारों को पाने की मांग कर सकती है

निष्कर्ष

मेरी प्यारी बहनो आज मैंने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से बहू के कौन-कौन से अधिकार है इसके विषय में विस्तार पूर्वक से बताया है अगर आप लोगों ने इस लेख को शुरू से अंत तक ध्यान पूर्वक पढ़ा होगा तो आप लोगों को उच्च न्यायालय के द्वारा बहू को मिलने वाले अधिकार के विषय में पूर्ण रूप से जानकारी प्राप्त हो गई होगी.

ऐसे में अगर आप लोगों को इन अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है तो आप लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकती हैं और कानून की मदद के द्वारा अपने अधिकार प्राप्त करने की मांग कर सकती हैं तो मेरी प्यारी बहनों मैं उम्मीद करती हूं आप लोगों को हमारे द्वारा बताई गई जानकारी पसंद आई होगी और हमारा यह लेख आप लोगों के लिए उपयोगी साबित हुआ होगा

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