Bhairav bhoot sadhna kya hai? Bhairav Bhoot sadhna mantra kya hai ? भैरंव भूत साधना क्या है ? भैरव भूत साधना एक प्राचीन साधना है। यह साधना किसी बंद कमरे में और शांत वातावरण में की जाती है। यदि साधना करने के लिए घर का माहौल उचित नहीं है, तो इसे किसी खंडहर या नदी के किनारे शांत स्थान में करना उचित रहता है। जय खतरनाक साधना है , इसलिए इसे करने से पहले सुरक्षा हेतु बृह्म चक्र को धारण करना अनिवार्य है। What is Bhairav Bhoot Sadhana ?
- 1. भैरव भूत की साधना विधि क्या होती है ? What is the method of cultivation?
- 2. भैरो साधना के प्रकार कौन-कौन से होते है ? What are the types of Bhairav Sadhana?
- 3. बटुक भैरो की साधना कैसे की जाती है ? How to practice Batuk Bhairav ?
- 4. भैरंव भूत साधना मंत्र क्या होता है ? Bhairav Bhoot Sadhana Mantra:
- 5. भैरंव भूत साधना यंत्र क्या होता है ? What is a cultivation yantra ?
- 6. भैरवं भूत साधना काल क्या होता है ? What is cultivation time?
- 7. भैरवं भूत साधना में ध्यान देने योग्य बातें कौन सी होती है ? What are the things to note?
- 8. काल भैरव की महिमा कैसे करे हैं ? How to glorify Kalabhairava?
भैरव भूत की साधना विधि क्या होती है ? What is the method of cultivation?
रुद्राक्ष की माला लेकर गोमुखी रखकर 11 बार माला का मंत्र के साथ दाहिने हाथ के अंगूठा और बीच की उंगली से जाप करें। पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कुश आसन या लाल कंबल के आसन पर बैठकर मंत्र जाप करें।
साधना से पहले लोबान की धूप जलाएं और टेल का चिराग जलाए जो कम से कम 8 घंटे तक जले। भैरव कि मूर्ति लगाकर उस पर सिंदूर लगाएं तथा माथे पर तिलक लगाएं। साधना के समय लाल वस्त्र धारण करें।
तत्पश्चात वास्तु दोष, पवित्र कर गुरु पूजन आदि करें। इसके बाद भैरव जाप करने के लिए मंत्र का उच्चारण करें। यह एक तीव्र साबर मंत्र है।
मंत्र उच्चारण करते हुए जब 11 ही बार माला का मंत्र के साथ जॉब करेंगे तो धुएं में आकृति बनेगी जो भूत के समान दिखाई देती है।
जब इस प्रकार की आकृति दिखाई देने लगी तो मंत्र जाप पूरा करके उससे वचन ले। जब आपको वचन मिल जाए तब आप जल पात्र से जल लेकर उसके ऊपर छिड़क दें। इस प्रकार से वह आपके वश में हो जाएगा।
जब आपके वशीभूत हो जाएगा तो आप उसे कोई भी कार्य करवाने के लिए आदेश दे सकते हैं जैसे मारण वशीकरण आदि कार्य करवा सकते हैं।
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भैरो साधना के प्रकार कौन-कौन से होते है ? What are the types of Bhairav Sadhana?
भैरो को शिव का अवतार माना जाता है और तंत्र साधना में भैरव के प्रमुख आठ रूपों का की साधना की जाती है, जो इस प्रकार हैं –
- सितांग भैरव
- रु-रु भैरव
- चण्ड भैरव
- क्रोधोन्मत्त भैरव
- भयंकर भैरव
- कपाली भैरव
- भीषण भैरव
- संहार भैरव
- इन सब में प्रमुख रुप से काल भैरव और बटुक भैरव की साधना की जाती है।
- बटुक भैरव को शांत भैरव माना जाता है , और काल भैरव को सबसे उग्र भैरव माना जाता है।
- जो लोग धन संपत्ति वैभव को प्राप्त करना चाहते हैं वह लोग बटुक भैरव की साधना करते हैं परंतु विकराल रुप साधना के रूप में तांत्रिक लोग काल भैरव की साधना करते हैं। काल भैरव को मृत्यु का देवता माना जाता है।
बटुक भैरो की साधना कैसे की जाती है ? How to practice Batuk Bhairav ?
बटुक भैरव दुर्गा के पुत्र माने जाते हैं| और इनकी साधना करके लोग सांसारिक कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं। बटुक भैरव तुरंत प्रसन्न होने वाले देवता माने जाते हैं।।
भैरंव भूत साधना मंत्र क्या होता है ? Bhairav Bhoot Sadhana Mantra:
।।ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा।।
इस मंत्र का प्रतिदिन 11 माला, 21 मंगलवार करना होता है, जो बहुत ही फलित होता है |
भैरंव भूत साधना यंत्र क्या होता है ? What is a cultivation yantra ?
बटुक भैरव की साधना करने के लिए बटुक भैरव यंत्र लाकर साधना के स्थान पर भैरव जी के चित्र को लाल वस्त्र पर रख दे। चित्र के ऊपर फल फूल और काले उड़द चढ़ाकर पूजा करें तथा लड्डू का भोग लगाएं।
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भैरवं भूत साधना काल क्या होता है ? What is cultivation time?
यह साधना को मंगलवार के दिन करें या फिर विशेष रूप से अष्टमी के दिन करें तथा समय शाम से 7:00 बजे से 10:00 बजे की बीच ही करें।
भैरवं भूत साधना में ध्यान देने योग्य बातें कौन सी होती है ? What are the things to note?
साधकों को साधना के दौरान शुद्ध खानपान संयम के साथ वाणी में शुद्धता रखें किसी पर क्रोध न करें तथा स्त्री से सहवास न करें।
काल भैरव की महिमा कैसे करे हैं ? How to glorify Kalabhairava?
काल भैरव की साधना मनोकामना को पूर्ण करने के लिए किया जाता है, यह साधना दक्षिण दिशा में मुंह करके रुद्राक्ष की माला लेकर रात्रि में की जाती है, इसके लिए साधक को लाल या काले वस्त्र धारण करके तेल का दीपक जला कर पूजा करें |
हर मंगलवार को लड्डू का भोग पूजन करने के बाद कुत्तों को खिला कर नया भोग रख दें भैरव को भोग अर्पित करने के बाद उसी स्थान पर साधक को भी होगा ग्रहण करना चाहिए |
भैरव की पूजा यदि दैनिक कर रहे हैं तो रविवार को चावल दूध की खीर, सोमवार को मोतीचूर के लड्डू, मंगलवार को घी गुण अथवा गुड़ से बनी लपसी या लड्डू, बुधवार को दही बूरा, गुरुवार को बेसन के लड्डू और शुक्रवार को भुने हुए चने तथा शनिवार को तले हुए पापड़, उड़द के पकोड़े या जलेबी का भोग लगाएं।
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